लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी आज स्वीकार किया कि मोदी सरकार में काम करने की रफ्तार तेज हुई है और कहा कि ‘मोदी है तो मुमकिन है’ जिस पर सत्ता पक्ष की ओर से खूब तालियाँ बजीं।
श्री चौधरी ने सदन में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़ अनुदान माँगों पर चर्चा के दौरान गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी के दावों को खारिज करते हुये कहा कि वह चेनाब नदी पर बन रहे सबसे ऊँचे रेल पुल और सबसे लंबी रेल सुरंग का श्रेय लेना चाहते हैं, लेकिन ये काम कांग्रेस की सरकारों के समय शुरू हुये थे।
इस पर श्री रेड्डी ने कहा कि कांग्रेस सरकार के समय जम्मू-कश्मीर में हर साल 4.1 किलोमीटर रेल लाइन बिछाई जाती थी जबकि मोदी सरकार के समय 22 किलोमीटर से ज्यादा रेल लाइन बिछाई जा रही है।
निरुत्तर कांग्रेस नेता ने कहा ‘‘मोदी है तो मुमकिन है और शाह है तो संभव है’’। उनके इतना कहते ही सदन ठहाकों से गूँज गया और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर उनकी इस स्वीकारोक्ति पर चुटकी ली। श्री चौधरी ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुये कहा ‘‘हमने आपको खिला-पिलाकर इतना बड़ किया कि अब आप दौड़ने के काबिल हुये हैं। लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि आपके यदि दौड़ने लगे हैं तो उसमें हमारा कोई योगदान नहीं है।’’
उन्होंने कहा कि यदि कांग्रेस सरकार ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत को अंजाम नहीं दिया होता तो लद्दाख आज भारत का हिस्सा नहीं होता। यदि 1972 में इंदिरा गाँधी न होतीं तो पाकिस्तान से बंगलादेश अलग नहीं होता। उन्होंने कहा कि यदि जम्मू-कश्मीर में शांति है तो वहाँ राजनीतिक बंदियों को क्यों नहीं रिहा किया जा रहा है।
श्री चौधरी ने आरोप लगाया कि 05 अगस्त 2019 के बाद राज्य में आर्थिक गतिविधियों में 20 प्रतिशत की कमी आयी है।