नई दिल्ली: ताजमहल किसका है आखिर इस पर मालिकाना हक किसके पास है। सरकार या सुन्नी वक्फ बोर्ड का। फिलहाल इसके फैसले पर इंतजार और बढ़ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 12 हफ्ते के लिए टाल दी है। इससे पहले सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं कि ताज़महल को हमारे नाम किया गया था, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर ये कहा जा सकता है कि ये वक़्फ़ की सम्पति है। वक़्फ़ बोर्ड ने कहा कि कोई भी इंसान इसके मालिकाना हक का दावा नही कर सकता। ये ऑलमाइटी (सर्व शक्तिमान) की संपत्ति है। हम मालिकाना हक नही मांग रहे है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ताज़महल को वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति घोषित करना ही मुख्य समस्या है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर आप कोई संपति आप वक़्फ़ की घोषित करते है तो उसकी समीक्षा की जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आपने एक बार प्रॉपर्टी को रजिस्टर कर दिया है लेकिन आप उसपर दावा नही कर रहे है ये प्रॉपर्टी को अपने पास रखने का कोई आधार नही हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने ASI को कहा कि अगली सुनवाई पर आप कोर्ट को बताए कि जो सुविधाएं अभी आप वक़्फ़ को दे रहे है उसका देना जारी रखना है या नही? वहीं ASI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि अगर ताज़महल को वक़्फ़ बोर्ड की सम्पति मानते है तो कल को लाल किला और फतेहपुर सिकरी पर भी अपना दावा करेगे। सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में ये कौन विश्वास करेगा कि ताज़महल वक़्फ़ बोर्ड की संपत्ति है. इस तरह के मामलों से सुप्रीम कोर्ट का समय जाया नहीं करना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने ये टिप्पणी ASI की उस याचिका पर सुनवाई के दौरान की जिसमें ASI ने 2005 के उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड के फ़ैसले को चुनौती दी है, जिसमें बोर्ड ने ताजमहल को वक़्फ़ बोर्ड के संपति घोषित कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि मुगलकाल का अंत होने के साथ ही ताजमहल समेत अन्य ऐतिहासिक इमारतें अंग्रेजों को हस्तांतरित हो गई थी। आजादी के बाद से यह स्मारक सरकार के पास है और एएसआई इसकी देखभाल कर रहा है। बोर्ड की ओर से कहा गया कि बोर्ड के पक्ष में शाहजहां ने ही ताज महल का वक्फनामा तैयार करवाया था। इस पर बेंच ने तुरंत कहा कि आप हमें शाहजहां के दस्तखत वाले दस्तावेज दिखा दें। बोर्ड के आग्रह पर कोर्ट ने एक हफ्ते की मोहलत दे दी।
दरअसल, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने आदेश जारी कर ताजमहल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इस पर कोर्ट ने बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था। मोहम्मद इरफान बेदार ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के समक्ष याचिका दाखिल कर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की थी, लेकिन हाई कोर्ट में कहा कि वो वक़्फ़ बोर्ड जाए।
मोहम्मद इरफान बेदार ने 1998 में वक़्फ़ बोर्ड का के समक्ष याचिका दाखिल कर ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित करने की मांग की। बोर्ड ने ASI को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और ASI ने अपने जवाब में इसका विरोध किया और कहा कि ताजमहल उनकी सम्पत्ति है। लेकिन बोर्ड ने ASI की दलीलों को दरकिनार करते हुए ताज़महल को बोर्ड की सम्पति घोषित कर दी थी।