पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आज यह जानना चाहा कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के पहले मसौदे में एक करोड़ से ज्यादा लोगों के नाम क्यों नहीं शामिल किए गए हैं। मुख्यमंत्री ने पश्चिम बंगाल के लोगों से अपील की कि अगर मसौदे से बाहर रखे गए लोगों को इस पूर्वोत्तर राज्य को छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है तो वह उन लोगों को आश्रय दें। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगर पड़सी राज्य असम में कोई समस्या आती है तो पश्चिम बंगाल भी उससे प्रभावित होगा। उन्होंने कहा कि बंगाली लोगों को असम से बाहर करने के लिए भाजपा ने यह चाल चली है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मसौदे से न केवल बंगालियों को बल्कि बिहार के लोगों को भी बाहर रखा गया है।
अलीपुरद्वार जिले में एक सार्वजनिक बैठक में उन्होंने कहा, मैं यह इसलिए कह रही हूं क्योंकि यह हमें दुख देता है। उत्तर बंगाल के इस शहर के लोगों को मुख्यमंत्री ने सतर्क रहने को कहा। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने लोगों से अपील की है कि वह उन लोगों को अपने यहां शरण दें जिन्हें असम से बाहर जाने के लिए मजबूर किया जाएगा। उच्चतम न्यायालय की निगरानी में असम के वास्तविक नागरिकों की पहचान के लिए साल 1951 के एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है। यह कदम राज्य में रह रहे अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए उठाया गया है। एनआरसी का नया पहला मसौदा पिछले साल 31 दिसंबर की मध्य रात्रि में जारी किया गया था।
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