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सांसद के भाषण के व्यापक प्रभाव से अपराध की गंभीरता बढ़ जाती है : अदालत ने राहुल मामले में कहा

मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सजा सुनाते हुए बृहस्पतिवार को सूरत की एक अदालत ने कहा कि उनके अपराध की गंभीरता इसलिए बढ़ गई, क्योंकि संसद सदस्य द्वारा दिए गए भाषण का ‘‘जनता पर बहुत व्यापक प्रभाव’’ पड़ता है।

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एच. एच. वर्मा की अदालत ने कहा कि अगर आरोपी को कम सजा दी गई तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा और मानहानि कानून का मकसद पूरा नहीं होगा।

सूरत की एक अदालत ने ‘मोदी उपनाम’ संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें बृहस्पतिवार को दो साल कारावास की सजा सुनाई।

अदालत ने, हालांकि गांधी को जमानत भी दे दी तथा उनकी सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि कांग्रेस नेता फैसले को चुनौती दे सकें।

अदालत ने अपने फैसले में कहा कि राहुल गांधी अपने भाषण को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, नीरव मोदी, विजय माल्या, मेहुल चोकसी और अनिल अंबानी तक सीमित कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ‘‘जानबूझकर’’ एक बयान दिया, जिससे मोदी उपनाम वाले लोगों को ठेस पहुंची।

अदालत ने कहा कि गांधी जानते थे कि उनकी टिप्पणी का जनता पर प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि भाषण एक चुनाव प्रचार के दौरान दिया गया था। इसने कहा कि कांग्रेस नेता यह भी जानते थे कि उन्हें अपनी विवादास्पद टिप्पणी से लाभ मिलेगा।

अदालत ने गांधी के खिलाफ 2018 में उनकी टिप्पणी ‘‘चौकीदार चोर है’’ पर उच्चतम न्यायालय द्वारा शुरू की गई आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही का भी उल्लेख किया और कहा कि शीर्ष अदालत ने उन्हें बिना शर्त माफी मांगने के बाद भविष्य में ‘‘सतर्क’’ रहने के लिए कहा था।

अदालत ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने भले ही आरोपी को सतर्क रहने की सलाह दी थी, लेकिन उनके आचरण में कोई बदलाव आता नहीं दिख रहा है।’’