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जानें…शहीद की पत्नी सावित्री ने आखिर क्यों शादी का जोड़ा पहनकर पति को दी अंतिम विदाई

बीते गुरूवार को हुए पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं। उन्हीं में से एक सीआरपीएफ जवान तिलक राज जिनकी पत्नी का नाम सावित्री है।

बीते गुरूवार को हुए पुलवामा आतंकी हमले में 40 जवान शहीद हुए हैं। उन्हीं में से एक सीआरपीएफ जवान तिलक राज जिनकी पत्नी का नाम सावित्री है। शहीद तिलक राज की पत्नी ने उन्हें आंतिम विदाई उसी दुल्हन के जोड़े में दी जिसे पहनकर पहली बार जब वह तिलज राज के घर यानी अपने ससुराल आई थीं।

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सावित्री की आंखो से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे क्योंकि इस हमले में उन्होंने अपने पति तिलक राज को हमेशा-हमेशा के लिए खो दिया है। इस तरह के गमगीन माहौल को देख वहां मौजूद लोगों की आंखो में भी आंसू आ गए और अब पाकिस्तान की इस कायरता का जवाब देने का गुस्सा भी सभी के मन में हैं।

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तो इसलिए पहना जाता है शादी का जोड़ा….

प्रेम सागर नाम के इतिहासकार का कहना है कि जब पति-पत्नी शादी के बंधन में बंधते हैं तो उस समय कुछ रस्में अवश्य होती है जिन्हें पूरा किया जाता है और अंत तक निभाया जाता है। ऐसे में एक रस्म यह भी होती है कि पत्नी कहती है कि मैं सदा सुहागिन रहूंगी। इतिहासकार ने बताया कि इसका मतलब यह है कि वह पति से पहले इस दुनिया को छोड़कर चली जाएंगी।

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इतिहासकार ने आगे बताया कि यदि ऐसा नहीं होता है तो किसी भी कारण से पति की मृत्यु पहले हो गई तो वह अपने पति को उसी दुल्हन के जोड़े को पहनकर विदा करेंगी जो उसने अपनी शादी में पहना था। बता दें कि शहीद तिलक राज की पत्नी सावित्री ने इतना ज्यादा दुख होने के बावजूद भी इस परंपरा का पालान किया।

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शहीद तिलक राज का बड़ा बेटा बार-बार जिद कर रहा था पापा को देखने की

शोधार्थी अतुल कुमार ने बताया कि ये परंपरा काफी पुरानी है जिसे गांव के लोग अच्छी तरह निभा रहे हैं। हमारे समाज में ये शादी की रस्में हैं जिन्हें हिमाचल के लोग जीवन के अंतिम क्षणों तक निभा रहे हैं।

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इस गमगीन माहौल के बीच में शहीद तिलक राज का बड़ा बेटा अपने 22 दिन के रोते हुए छोटू से भाई को चूम कर चुप करवा रहा था। घर के कमरे में ही शहीद तिलक राज का ताबूत खोलकर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था।

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शहीद तिलक राज का ढाई साल का बड़ा बेटा वरूण बार-बार ताबूत देखने की जिद कर रहा था। इसके बाद परिवार वाले वरुण को मां और छोटे भाई के पास ले आए।

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वरुण ने छोटे भाई को भी चूम-चूम कर चुप करवाया। शहीद तिलक राज के अंतिम दर्शन के लिए घर के पास ज्यादा भीड़ हो जाने की वजह से मुख्य गेट से नहीं निकल पाई। इसलिए पार्थिव शरीर को घर के पीछे वाले खेतों के रास्ते ले जाया गया।

 

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