केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम में कहा कि तीनों विवादित कृषि कानूनों को जिसे पिछले महीने केंद्र सरकार की ओर से लाखों किसानों द्वारा उग्र (कभी-कभी हिंसक) विरोध प्रदर्शन के बाद वापस ले लिया गया, बाद में फिर से पेश किया जा सकता है। इस कानून के खिलाफ सालभर किसानों ने प्रदर्शन किया था।
सरकार निराश नहीं बल्कि आगे की सोच रही
अपने संबोधन के दौरान केंद्रीय मंत्री तोमर ने विवादास्पद कानूनों को खत्म करने के के लिए कुछ लोगों को दोषी ठहराया। कृषि मंत्री ने कहा कि हम कृषि संशोधन कानून लाए। लेकिन कुछ लोगों को ये कानून पसंद नहीं आए। ये आजादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बड़ा सुधार था। लेकिन सरकार बिल्कुल भी निराश नहीं है। हम एक कदम पीछे हटे हैं, हम फिर आगे बढ़ेंगे क्योंकि किसान भारत की रीढ़ हैं।
19 नवंबर को तीनों कृषि कानून वापस लेने का एलान
पिछले महीने 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी और पंजाब में चुनाव से ठीक तीन महीने पहले तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया था। हालांकि अचानक सरकार के इस एलान के बाद विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिए थे। विपक्ष ने इस कदम को चुनाव में फायदा लेने के बताया।
पिछले साल नवंबर से किसान कर रहे थे प्रदर्शन
बता दें कि पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसानों ने डाल रखा था। इस दौरान कई बार सुरक्षाबलों के साथ किसानों की हिंसक झड़प भी देखने को मिली थी। वहीं केंद्र सरकार के लिए मुश्किलें तब खड़ी हो गईं जब लखीमपुर खीरी में प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार चढ़ा दी गई और इसका आरोप केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर है।