देश में देशद्रोह कानून को लेकर काफी चर्चा चल रही है। अतिसंवेदनशील मामला देश की शीर्ष अदालत, सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी बात कही है। केंद्र ने कहा कि उसने देशद्रोह कानून के प्रावधानों पर पुनर्विचार करने और जांच का फैसला लिया है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मामले पर सुनवाई तब तक न की जाए जब तक सरकार जांच न कर ले।
मौजूद कानून पर संदेह करने की जरूरत नहीं
ज्ञात हो कि इससे पहले देश की सर्वोच्च अदालत ने सरकार से इस कानून की वैधता के साथ-साथ इसे बड़ी बेंच को भेजे जाने को लेकर भी अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि केदारनाथ सिंह फैसला मौजूदा संवैधानिक सिद्धांतों और वक्त की कसौटी पर खरा उतरा है।
इसके दुरुपयोग के चंद मामलों के चलते केदारनाथ सिंह फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत नहीं है। कानून के दुरुपयोग के हर मामले में उस केस के लिहाज से कानूनी राहत के विकल्प मौजूद हैं, लेकिन इसके लिए संविधान पीठ की मुहर लगे 6 दशक से मौजूद कानून पर संदेह करने की जरूरत नहीं है।
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सरकार ने रखा था अपना पक्ष, कही ये बात
बता दें कि इससे पहले सभी याचिकाएं क्रमशः सेवानिवृत्त सेना मेजर-जनरल एसजी वोम्बटकेरे और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा दायर की गई थीं। तो वहीं, इस मामले में भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि केंद्र का जवाबी हलफनामा तैयार है और दो दिनों के भीतर दायर किया जा सकता है। केंद्र को इस सप्ताह के अंत तक अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देने के बाद पीठ ने मामले को अंतिम निपटान के लिए 5 मई को पोस्ट कर दिया। हलफनामे का जवाब अगले मंगलवार तक दाखिल किया जाना है।