लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

ससुराल के घर में महिला के अधिकार को त्वरित प्रक्रिया अपना नहीं छीना जा सकता है : न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ससुराल के साझे घर में रहने के किसी महिला के अधिकार को वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के तहत त्वरित प्रक्रिया अपनाकर खाली करने के आदेश के माध्यम से नहीं छीना जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि ससुराल के साझे घर में रहने के किसी महिला के अधिकार को वरिष्ठ नागरिक कानून, 2007 के तहत त्वरित प्रक्रिया अपनाकर खाली करने के आदेश के माध्यम से नहीं छीना जा सकता है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि घरेलू हिंसा से महिलाओं की रक्षा कानून 2005 (पीडब्ल्यूडीवी) का उद्देश्य महिलाओं को आवास की सुरक्षा मुहैया कराना और ससुराल के घर में रहने या साझे घर में सुरक्षित आवास मुहैया कराना एवं उसे मान्यता देना है, भले ही साझा घर में उसका मालिकाना हक या अधिकार नहीं हो। 
न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 को हर स्थिति में अनुमति देने से, भले ही इससे किसी महिला का पीडब्ल्यूडीवी कानून के तहत साझे घर में रहने का हक प्रभावित होता हो, वह उद्देश्य पराजित होता है जिसे संसद ने महिला अधिकारों के लिए हासिल करने एवं लागू करने का लक्ष्य रखा है।’’ 
शीर्ष अदालत ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के हितों की रक्षा करने वाले कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे बेसहारा नहीं हों या अपने बच्चे या रिश्तेदारों की दया पर निर्भर नहीं रहें। पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए साझे घर में रहने के किसी महिला के अधिकार को इसलिए नहीं छीना जा सकता है कि वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के तहत त्वरित प्रक्रिया में खाली कराने का आदेश हासिल कर लिया गया है।’’ पीठ में न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी भी शामिल थीं। 
कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एक महिला द्वारा दायर याचिका पर उच्चतम न्यायालय सुनवाई कर रहा था। उच्च न्यायालय ने उसे ससुराल के घर को खाली करने का आदेश दिया था। सास और ससुर ने माता-पिता की देखभाल और कल्याण तथा वरिष्ठ नागरिक कानून 2007 के प्रावधानों के तहत आवेदन दायर किया था और अपनी पुत्रवधू को उत्तर बेंगलुरू के अपने आवास से निकालने का आग्रह किया था। उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 17 सितंबर 2019 के फैसले में कहा था कि जिस परिसर पर मुकदमा चल रहा है वह वादी की सास (दूसरी प्रतिवादी) का है और वादी की देखभाल और आश्रय का जिम्मा केवल उनसे अलग रहे रहे पति का है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

3 × 3 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।