केंद्र सरकार द्वारा विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के न्यायाधीश प्रवीण सिंह (Praveen Singh) को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा (Y Category Security) प्रदान करने की संभावना है, अभी न्यायधीश के पास X कैटेगरी की सुरक्षा है। दरअसल प्रवीण सिंह ने टेरर फंडिंग मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) को दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा दी है। बता दें कि मलिक को बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के कड़े आरोपों के तहत आजीवन कारावास और 10 लाख का जुर्माना भरने की सजा सुनाई थी।
न्यायाधीश प्रवीण सिंह को दी जाएगी ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा?
बता दें कि वरिष्ठ न्यायाधीश यूएपीए के तहत एनआईए द्वारा बड़ी संख्या में आतंकवाद के मामलों की जांच कर रहे हैं, जिस कारण उनकी जान को खतरा बढ़ जाता है। वहीं गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार खतरे की संभावना के आधार पर सुरक्षा कवर की पेशकश की जाती है और इसे छह समूहों – एक्स, वाई, जेड, जेड + और विशेष सुरक्षा समूह और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड सुरक्षा में बांटा जाता है।
जानें जज प्रवीण सिंह को क्यों है सुरक्षा की जरूरत?
बता दें कि इससे पहले 2002 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को मौत की सजा देने वाले विशेष न्यायाधीश एसएन ढींगरा को दिल्ली पुलिस ने उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान की थी। पिछले दिनों आतंकवादियों ने कश्मीर में एक सत्र न्यायाधीश नील कंठ गंजू को मार गिराया था, जिन्होंने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल भट को मौत की सजा सुनाई थी, बाद में गुरु और भट दोनों को फांसी दे दी गई थी।
जानें यासीन मलिक पर किन धाराओं के तहत दर्ज है मामले
अगर बात करें यासीन मलिक की तो उसपर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने, गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल होने और कश्मीर में शांति को भंग करने, टेरर फंडिंग में शामिल होने के आरोप है। उसने इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। सुनवाई की आखिरी तारीख को उसने अदालत को बताया कि वह धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), 17 (आतंकवादी कृत्यों के लिए धन जुटाना), 18 (आतंकवादी कृत्य की साजिश) और धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) तथा भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) और 124-ए (राजद्रोह) के तहत अपराधी है।
वर्तमान मामला विभिन्न आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हिज्बुल-मुजाहिदीन (एचएम), जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) और जैश-ए-मोहम्मद (जेएम) से संबंधित है। इसने जम्मू-कश्मीर की स्थिति को बिगाड़ने के लिए आतंकवादी और अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम दिया।