कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर पुलिस पर दबाव बनाकर उन्हें मध्य प्रदेश के बागी विधायकों से मिलने से रोकने का आरोप लगाया।
सिंह ने कहा कि वह आश्वस्त हैं कि अगर उन्हें विधायकों से निजी तौर पर बात करने का मौका मिले तो वह ज्यादातर विधायकों को अपने साथ वापस ले जाएंगे।
भाजपा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर मध्य प्रदेश के राजनीतिक संकट की ‘पटकथा लिखने और उसे अमल में लाने’ का आरोप लगाते हुए सिंह ने बागी विधायकों से अपील की कि वे ऐसा कोई कदम नहीं उठाएं जिससे भाजपा को फायदा हो।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “ मुझे कर्नाटक के डीजीपी से पूरी सहानुभूति है, क्योंकि वह जबर्दस्त दबाव में हैं और मेरा आरोप है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा की तरफ से उनपर दबाव है।”
सिंह ने कहा, “ मेरा येदियुरप्पा पर आरोप है कि वह डीजीपी पर दबाव डाल रहे हैं कि वह मुझे मेरे कांग्रेसी विधायकों से मिलने नहीं दें।”
यहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस उन्हें विधायकों से मिलने, बात करने या उन्हें पत्र नहीं भेजने दे रही। ये विधायक 26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनाव में उनके मतदाता हैं।
घटनाक्रमों को देश में भाजपा द्वारा रचित ‘सत्ता का खेल’ बताते हुए सिंह ने आरोप लगाया कि अमित शाह की देख रेख में पार्टी ने इसकी कल्पना की और अंजाम दिया।
उन्होंने कहा, “ आप लोग इसे ऑपरेशन लोटस कह सकते हैं, लेकिन यह ऑपरेशन मनी (धन) बैग है। बहुत पैसा है। ऐसा पहले कर्नाटक में हो चुका है।”
सिंह ने कहा, “ मैं नहीं जानता कि 22 विधायकों में से कितनों ने पैसा लिया है। इसलिए मैं उनके खिलाफ आरोप नहीं लगा रहा हूं, लेकिन मेरे पास भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की फोन रिकॉर्डिंग है जिसमें वे कांग्रेस के विधायकों को पैसों की पेशकश कर रहे हैं।”
बेंगलुरु के जिस रिसॉर्ट में मध्य प्रदेश के बागी विधायक ठहरे हुए हैं उसके रिसॉर्ट के पास बुधवार सुबह नाटकीय घटनाक्रम हुआ, जब सिंह पुलिस पर विधायकों से नहीं मिलने देने का आरोप लगाते हुए धरने पर बैठ गए थे।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा पर विधायकों को बंधक बनाने का आरोप लगाया और पुलिस के शीर्ष अधिकारियों से मिलकर अनुरोध किया कि उन्हें विधायकों से मिलने दिया जाए और अगर उन्हें विधायकों से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी तो वह ‘भूख हड़ताल’ पर बैठ जाएंगे।
सिंह ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भाजपा नेताओं के खिलाफ व्यापम और ई-निविदा जैसे भ्रष्टाचार के कई मामलों जांच चल रही है और वे नहीं चाहते हैं कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी रहे।
उन्होंने आरोप लगाया, “ इसके लिए पैसा अमित शाह ने दिया है। चार्टर्ड उड़ानों और होटलों के बिल का भुगतान भाजपा और वे ठेकेदार कर रहे हैं जिनको घोटाले से फायदा हुआ है। ऑपरेशन मनी बैग के पीछे की यह कहानी है।”
इस बीच, सिंह ने 22 में बागी 18 विधायकों के पत्र लिखा है और डीजीपी से आग्रह किया है कि इन पत्रों को विधायकों तक पहुंचा दिया जाए।
सिंह ने कहा, “ सिर्फ एक चीज मैं उनसे (डीजीपी) चाहता हूं कि मुझे आश्वास्त करें कि पत्र उन व्यक्तियों को पहुंचा दिया जाए जिनके नाम यह लिखा गया है और अगर पुलिस पत्र सौंपने की वीडियो बनाए तो मैं आभारी रहूंगा।”
उन्होंने कहा, “ डीजीपी ने वीडियो बनाने से तो इनकार किया है लेकिन कहा कि वह कानूनी टीम से सलाह के बाद मेरे पत्रों पर प्रतिक्रिया देंगे।”
सिंह ने कुरियर के माध्यम से भी पत्र भेजने की अनुमति मांगी है।
सिंह बागी विधायकों की तरफ से प्रेस को जारी बयान पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये बयान एक निर्धारित प्रारूप में हैं जो इस बात को साबित करता है कि विधायकों को बंधक बनाया गया है।
उन्होंने यह भी बताया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विधायकों से उन्हें मिलने देने के लिए डीजीपी को निर्देश देने के उनके अनुरोध को खारिज कर दिया और मामले को 26 मार्च सूचीबद्घ कर दिया । मामला उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।
सिंह ने कहा कि वह फिर से उच्च न्यायालय के रूख करेंगे और चुनाव आयोग भी जाएंगे।
उन्होंने कहा, “ मैंने कल से कुछ नहीं खाया है। आज गुरुवार है और मेरा व्रत है… मैं छह, सात दिन तक ऐसे रह सकता हूं।”