भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा येस बैंक पर पाबंदी लगाए जाने के बाद बैंक के परेशान जमाकर्ताओं को एटीएम से धन निकालने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
लंबी कतारों में खड़े जमाकर्ताओं को कहीं मशीनें बंद पड़ी मिलीं तो कहीं एटीएम में धन नहीं था।
येस बैंक के ग्राहकों की मुसीबत और बढ़ गई जब उन्हें इंटरनेट बैंकिंग प्रणाली के माध्यम से धन स्थानांतरित करने में भी असुविधा झेलनी पड़ी।
वित्त मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना , गुरुवार शाम 6 बजे से यह रोक शुरू
सरकार ने निजी क्षेत्र के येस बैंक पर 30 दिन की अस्थायी रोक लगाते हुये इस दौरान खाताधारकों के लिए निकासी की सीमा 50 हजार रुपये तय कर दी है।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है कि गुरुवार शाम 6 बजे से यह रोक शुरू हो गयी है और 03 अप्रैल तक जारी रहेगी।
इस पूरी अवधि में खाताधारक 50 हजार रुपये से अधिक नहीं निकाल सकेंगे। यदि किसी खाताधारक के इस बैंक में एक से अधिक खाते हैं तब भी वह कुल मिलाकर 50 हजार रुपये ही निकाल सकेगा।
रिजर्व बैंक के आवेदन पर वित्त मंत्रालय ने यह अधिसूचना जारी की है।
अधिसूचना में कहा गया है कि यदि किसी खाताधारक ने बैंक से ऋण ले रखा है या उस पर बैंक की कोई देनदारी है तो देनदारी की राशि घटाने के बाद ही जमा राशि में से पैसे दिये जायेंगे।
बैंक द्वारा पहले जारी किये जा चुके पेय ऑर्डर या बैंक ड्राफ्ट के मद में भुगतान पर रोक नहीं होगी।
रिजर्व बैंक को यह अधिकार होगा कि वह उपचार खर्च, उच्च शिक्षा खर्च, स्वयं के या अपने ऊपर निर्भर किसी भी व्यक्ति के विवाह समारोह या अन्य किसी भी अपरिहार्य आकस्मिक खर्च के लिए 50 हजार से ज्यादा की राशि का खाताधारक को भुगतान करने का आदेश जारी कर सकता है। यह आदेश सभी खाताधारकों के लिए या किसी विशेष खाताधारक के लिए जारी किया जा सकता है।
रोक की अवधि के दौरान सरकारी प्रतिभूतियों या अन्य प्रतिभूतियों के मद में भी येस बैंक भुगतान कर सकेगा। इस दौरान बैंक के पास किसी भी मद में गिरवी रखी गयी आस्तियों को भी बैंक उसके मालिक को लौटा सकते हैं, बशर्ते गिरवी संपत्ति के बदले में लिये गये ऋण का पूरा भुगतान कर दिया जाये।
एसबीआई बोर्ड ने येस बैंक में निवेश को ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दी
एसबीआई बोर्ड ने नकदी संकट से जूझ रहे येस बैंक में निवेश के लिए ‘सैद्धांतिक’ स्वीकृति दे दी है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के केंद्रीय बोर्ड ने गुरुवार को एक बैठक में मामले पर चर्चा की।
देर शाम, एसबीआई बोर्ड ने शेयर बाजारों को सूचित किया, ‘‘येस बैंक से संबंधित मामले पर गुरुवार को बैंक के केंद्रीय बोर्ड की बैठक में चर्चा की गई और बोर्ड ने बैंक में निवेश अवसर तलाशने के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।’’
यह घोषणा तब की गई जब इससे कुछ घंटे पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने येस बैंक पर पाबंदियां लगा दीं और एक महीने के लिए जमाकर्ताओं के वास्ते निकासी सीमा 50 हजार रुपये तय कर दी तथा इसके बोर्ड को भंग कर दिया।
खबरों के अनुसार सरकार ने एसबीआई और एलआईसी दोनों से येस बैंक में सामूहिक रूप से 49 प्रतिशत शेयर हासिल करने को कहा है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने येस बैंक के निदेशक मंडल किया भंग , जमाकर्ताओं को आश्वासन
भारतीय रिजर्व बैंक ने बृहस्पतिवार को नकदी संकट से जूझ रहे निजी क्षेत्र के येस बैंक पर रोक लगाते हुए उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया है।
इसके अलावा बैंक के जमाकर्ताओं के लिए 50,000 रुपये की निकासी की सीमा तय की है। बैंक के लिए एक प्रशासक की भी नियुक्ति की गई है।
रिजर्व बैंक ने सरकार के साथ विचार विमर्श के बाद जमाकर्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए यह कदम उठाया है।
रिजर्व बैंक ने येस बैंक के निदेशक मंडल को भी भंग कर दिया है। निदेशक मंडल पिछले छह माह से बैंक के लिए जरूरी पूंजी जुटाने में विफल रहा। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व मुख्य वित्त अधिकारी (सीएफओ) प्रशांत कुमार को येस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है।
रिजर्व बैंक ने देर शाम जारी बयान में कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना के अभाव, सार्वजनिक हित और बैंक के जमाकर्ताओं के हित में उसके सामने बैंकिंग नियमन कानून, 1949 की धारा 45 के तहत रोक लगाने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं है।
इसने साथ में येस बैंक के जमाकर्ताओं को यह आश्वासन भी दिया कि उनके हितों की पूरी तरह रक्षा की जाएगी और उन्हें घबराने की कोई जरूरत नहीं है।
बयान में कहा गया है कि बैंक के प्रबंधन ने इस बात का संकेत दिया था कि वह विभिन्न निवेशकों से बात कर रहा है और इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है। बैंक कई निजी इक्विटी कंपनियों के साथ भी पूंजी निवेश के लिए बात कर रहा था।
बयान में कहा गया है कि इन निवेशकों ने रिजर्व बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी विचार विमर्श किया, लेकिन विभिन्न वजहों से उन्होंने बैंक में कोई पूंजी नहीं डाली।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि नियामकीय पुनर्गठन के बजाय एक बैंक या बाजार आधारित पुनरोद्धार अधिक बेहतर विकल्प होता इसलिए रिजर्व बैंक ने इस तरह की प्रक्रिया के लिए पूरे प्रयास किए। बैंक के प्रबंधन को एक विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना तैयार करने के लिए पूरा अवसर दिया गया, लेकिन यह सिरे नहीं चढ़ सकी।
केंद्रीय बैंक ने अपने इस कदम को उचित ठहराते हुए कहा कि इन घटनाक्रमों के बीच बैंक से लगातार पूंजी निकलती रही।
इससे पहले दिन में सरकार ने एसबीआई और अन्य वित्तीय संस्थानों को येस बैंक को उबारने की अनुमति दी थी।
यदि इस योजना का क्रियान्वयन होता है तो कई वर्षों में यह पहला मौका होगा जबकि निजी क्षेत्र के किसी बैंक को जनता के धन के जरिये संकट से उबारा गया। इससे पहले 2004 में ग्लोबल ट्रस्ट बैंक का ओरियंटल बैंक आफ कॉमर्स में विलय किया गया था। 2006 में आईडीबीआई बैंक ने यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक का अधिग्रहण किया था।
इससे करीब छह माह पहले रिजर्व बैंक ने बड़ा घोटाला सामने आने के बाद शहर के सहकारी बैंक पीएमसी बैंक के मामले में भी इसी तरह का कदम उठाया गया था।