जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बनाए रखने का माध्यम बन रहा इंटरनेट : डीजीपी स्वैन

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बनाए रखने का माध्यम बन रहा इंटरनेट : डीजीपी स्वैन

Jammu and Kashmir

जम्मू-कश्मीर : जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ दिनों से हो रही आतंकवादी हमले को लेकर पुलिस महानिदेशक आरआर स्वैन ने कहा कि इंटरनेट जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बनाए रखने का माध्यम बन रहा है। पाकिस्तानी आका केंद्र शासित प्रदेश में घुसपैठियों को भेजने और हथियारों की तस्करी के लिए इसी का उपयोग करते हैं। स्वैन ने कहा कि पाकिस्तान स्थित एक हैंडलर ने अपने स्थानीय एजेंटों के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करके हमले की साजिश रची।

Highlight : 

  • जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद का माध्यम बन रहा इंटरनेट
  • हथियारों की तस्करी के लिए इंटरनेट बन रहा माध्यम
  • इंटरनेट का उपयोग करके हमले की साजिश

इंटरनेट का उपयोग करके रची हमले की साजिश

महानिदेशक स्वैन ने कहा कि साइबर अपराध अपने आप में व्यापक है और यह अन्य पारंपरिक अपराधों तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान स्थित एक हैंडलर ने अपने स्थानीय एजेंटों के माध्यम से इंटरनेट का उपयोग करके हमले की साजिश रची। उन्होंने कहा कि वे योजना बनाते हैं। आतंकियों की घुसपैठ के लिए एक स्थान चुनते हैं। वहां हथियार गोला-बारूद और विस्फोटक गिराते हैं। उन्होंने बताया कि इंटरनेट जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद को बनाए रखने का माध्यम बन रहा है। पाकिस्तानी आका केंद्र शासित प्रदेश में घुसपैठियों को भेजने और हथियारों की तस्करी के लिए इसी का उपयोग करते हैं।

साइबर अपराध अपने आप में व्यापक

उन्होंने कहा कि 75 प्रतिशत चुनौतियां इससे जुड़ी हैं। हो सकता है कि कुछ अधिकारी इसे 60 से 80 प्रतिशत के बीच रखेंगे लेकिन मैं सच्चाई से बहुत दूर नहीं हूं। पुलिस महानिदेशक ने कहा कि साइबर अपराध अपने आप में व्यापक है और यह अन्य पारंपरिक अपराधों तक पहुंच सकता है। उन्होंने कहा कि वे योजना बनाते हैं। आतंकियों की घुसपैठ के लिए एक स्थान चुनते हैं। वहां हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक गिराते हैं। पुलिस स्टेशन बाग-ए-बाहु के साथ साइबर पुलिस स्टेशन जम्मू जोन की इमारत का उद्घाटन करने के बाद वह बोल रहे थे।

चुनौती से निपटने के लिए जवाबी योजना की आवश्यकता

उन्होंने कहा कि चुनौती से निपटने के लिए एक जवाबी योजना की आवश्यकता है। हम गोपनीयता के नाम पर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। डीजीपी ने कहा कि वे निजता के खिलाफ नहीं हैं लेकिन निजता के नाम पर अपराध, चाहे व्यक्तिगत स्तर पर या अन्यथा धोखाधड़ी, जबरन वसूली या ब्लैकमेल, सरकार को अस्थिर करने का प्रयास, नागरिक संघर्ष या अलगाववाद को बढ़ावा देना बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।

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