नई दिल्ली : भाजपा महासचिव और पार्टी के जम्मू कश्मीर प्रभारी राम माधव ने कहा कि ‘जम्मू-कश्मीर में भाजपा और पीडीपी में धीरे-धीरे कुछ मुद्दों पर असहजता बढ़ रही थी। बीजेपी ने राज्य सरकार छोड़ी है, लेकिन कश्मीर नहीं। माधव ने कहा कि राष्ट्रहित के लिए हमने राज्य सरकार से अलग होने का फैसला लिया है। बता दें कि राम माधव जम्मू कश्मीर में पीडीपी से अचानक अलग होने के फैसले का कारण बता रहे थे। राज्य में मौजूदा स्थिति का जवाब देते हुए राम माधव ने कहा कि हम कश्मीर में पर्याप्त राजनीतिक गति उत्पन्न नहीं कर सके।
राम माधव ने आगे कहा कि गठबंधन से अलग होना समय की मांग थी। हमने 2 साल कोशिश की लेकिन इसका आगे चल पाना मुश्किल था। माधव ने कहा कि प्रत्येक गठबंधन में अनिश्चितता होती है। हमने कई मोर्चों पर डिलीवर करने की कोशिश की। हम कई पर सफल हुए, कुछ पर असफल रहे। राम माधव ने कहा कि हम कश्मीर छोड़ नहीं रहे हैं। हमने राज्य सरकार छोड़ी है। कश्मीर के एजेंडे को हम आगे ले जाएंगे। बीजेपी महासचिव ने कहा कि इलाके में आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई होती रहेगी, आगे बातचीत भी जारी रहेगी। सीजफायर के खत्म होने पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया पर बात करते हुए राम माधव ने कहा कि घाटी में समस्याओं को हल करने के लिए पाकिस्तान का जिक्र करना व्यर्थ था।
धारा 370 पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए राम माधव ने कहा कि विशेष संवैधानिक प्रावधान निरस्त करना भाजपा का एक प्रमुख एजेंडा बना रहा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि धारा 370 को लेकर आखिरी फैसला संसद को लेना है। माधव ने कहा कि कश्मीर ने इससे पहले बहुत खराब हालात देखे हैं। पिछले 3 साल में हमने सबसे ज्यादा आतंकी मार गिराए। पीडीपी-बीजेपी गठबंधन टूटने पर बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने पर राम माधव ने कहा कि यह कोई अपवित्र गठबंधन नहीं था। अगर आपको अपवित्र गठबंधन देखना है तो आप कर्नाटक में देखिए। 2 हारी हुईं पार्टियां एक साथ आईं हैं। कश्मीर के मामले में जिन दो पार्टियों को बहुमत था वे साथ आए।
आप कह सकते हैं हम दोनों अलग-अलग विचारधारा के हैं, लेकिन जब भारतीय राजनीति को पढ़ेंगे तो कई बार ऐसा हुआ है कि दो अलग-अलग विचारधारा की पार्टियां एक साथ आईं हैं। मा्धव ने कहा कि ये गठबंधन होना समय की मांग थी। हमें बहुमत मिला था। राज्य में शांति लाने के लिए हमने तीन साल प्रयास किए। लेकिन हम एक ऐसे जगह पहुंच चुके थे जहां हमें लगा इस गठबंधन को आगे नहीं बढ़ना चाहिए। हमें कश्मीर में राज्यपाल शासन की जरूरत महसूस हुई। हमें लगा कि राज्यपाल को राज्य में हालात को सुधारने का मौका देना चाहिए।
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