जम्मू-कश्मीर में जन सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत पिछले वर्ष जुलाई में हिरासत में लिए गए प्रमुख अलगाववादी नेता मोहम्मद अशरफ सहराई का बुधवार को यहां के एक अस्पताल में निधन हो गया।अधिकारियों ने इस बात की जानकारी दी। वह 77 वर्ष के थे।सहराई हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी धड़े के नेता सैयद अली शाह गिलानी के करीबी माने जाते थे। पीएसए के तहत हिरासत में लिए जाने के बाद उन्हें ऊधमपुर की जिला कारागार में रखा गया था।
अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार की शाम को सहराई की तबीयत अचानक बिगड़ जाने के बाद उन्हें राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया।गिलानी के स्थान पर 2018 में तहरीक-ए-हुर्रियत का अध्यक्ष बनने वाले सहराई की कोविड-19 रैपिड एंटीजन जांच की गयी जिसमें रिपोर्ट निगेटिव आई थी। उनकी आरटीपीसीआर जांच की रिपोर्ट का इंतजार है।अधिकारियों के मुताबिक, सहराई को सांस लेने में परेशानी हो रही थी और उनका ऑक्सीजन स्तर भी कम था। उन्हें कोविड-19 जैसे लक्षण थे।
सहराई विभिन्न गंभीर बीमारियों से भी पीड़ित थे। सांस लेने में परेशानी होने के बाद मंगलवार शाम को उन्हें ऊधमपुर में के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया जब उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तो उन्हें वहां से 55 किलोमीटर दूर राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। अलगाववादी नेता ने बुधवार दोपहर में अंतिम सांस ली।सहराई का सबसे छोटा बेटा जुनैद अशरफ खान मार्च 2018 में आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन में शामिल हो गया था।
इसके बाद 19 मई 2020 को श्रीनगर में सुरक्षाबलों के साथ हुई एक मुठभेड़ में वह मारा गया था।गौरतलब है कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर उसे दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इस दौरान कई अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिया गया था। गत वर्ष जुलाई में सहराई को पीएसए के तहत श्रीनगर में स्थित उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया था।पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री सज्जाद लोन ने सहराई के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा, सहराई साहब एक आतंकवादी नहीं बल्कि राजनेता थे।