स्वर्ण प्रधान भारतीय जाति व्यवस्था में दलितों का स्थान निम्न है। उन्हें दशकों से बैल की तरह जोता गया है। स्वर्ण समाज ने उनका जमकर शोषण किया है। भारतीय जाति व्यवस्था को देखें तो दलितोें का काम मैला ढ़ोना बताया गया है। मनुस्मृति में बताया गया है कि प्राचीन में स्वर्ण दलितों का मुंह देखना भी अशुभ मानते थे। जब स्वर्ण गलियों से गुजरते थे तो दलितों को भागकर छिपना पड़ता था। दलितों पर उत्पीड़न की शिकायतों को लेकर राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष अरूण हलदर ने बुधवार को कहा कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों के सदस्यों के उत्पीड़न की शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी।
ST-SC समुदाय के व्यक्ति कर सकते हैं आयोग से संपर्क
हलदर ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के गुलमर्ग में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि इन दोनों समुदायों के सदस्य किसी भी सूचना या अपनी शिकायतों के निवारण के लिए आयोग से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि बलात्कार या हत्या जैसा कोई अपराध अनुसूचित समुदाय के सदस्यों के साथ किया जाता है और यदि यह अपराध अन्य जाति का कोई व्यक्ति करता है तो आरोपी पर अत्याचार रोकथाम कानून के तहत आरोप लगाया जाएगा।’’
पीड़ित परिवार को मिलेगी सहायता राशि
उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज किये जाने के बाद पीड़ित के परिवार को सवा चार लाख रुपये मिलेंगे और यह राशि जिला प्रशासन एवं समाज कल्याण विभाग देंगे।
उपाध्यक्ष ने कहा, ‘‘ जब आरोपपत्र दाखिल किया जाता है तब परिवार को अन्य सवा चार लाख रुपये मिलेंगे। यह संविधान के अनुरूप है तथा अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को ये अधिकार प्राप्त हैं लेकिन दुर्भाग्य से उनमें से ज्यादातर लोग अपने अधिकारों से वाकिफ नहीं हैं।’’