जम्मू – कश्मीर के कठुआ जिले में जीरो लाइन की खाली पड़ी जमीन पर 18 साल बाद खेती लहलहाने के लिए सरकार द्वारा कदम उठाये जायेंगे। बता दें, पिछले कुछ दिनों में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के दौरे के दौरान तारबंदी के आगे की खाली पड़ी जमीन पर खेती न होने का मुद्दा किसानों ने जोरशोर से उठाया था।
जिसके बाद सीमा पर जमीनी हकीकत का आकलन करने और जमीन को खेती के लिए तैयार करने के लिए कठुआ के उपायुक्त ओपी भगत, एक सीमा सुरक्षा बल के अधिकारी, कृषि विभाग के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी और एक सीमा क्षेत्र पंचायत प्रतिनिधि की सोमवार को बीओपी पर जीरो लाइन पर एक बैठक हुई। बैठक में खेती की सारी तैयारी, किसानों की जमीन का सीमांकन और लैंडमाइन जैसी आशंकाओं पर चर्चा की गई। बैठक में शामिल अधिकारियों ने एक बंकर वाहन में जीरो लाइन का दौरा भी किया और खेती की जमीनी स्थिति और व्यवहार्यता का आकलन किया।
पाकिस्तान के किसान अपने खेतों पर जीरो लाइन तक खेती कर रहे हैं, लेकिन हीरंगर सेक्टर में लगभग 3,500 नहरों की जमीन पाकिस्तान द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी के कारण असिंचित पड़ी है।कठुआ के उपायुक्त ओपी भगत ने बैठक के बाद किसानों को आश्वासन दिया कि अक्टूबर के महीने में बाड़ के पार गेहूं की अगली फसल की खेती जीरो लाइन पर की जाएगी। सरकार किसानों को हर संभव मदद करेगी।
किसानों को उपकरण, ट्रैक्टर और सीमा सुरक्षा बल द्वारा सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी। फिलहाल तारबंदी के आगे खाली पड़ी जमीन पर सरकंडा व झाड़िया उगी हुई हैं, जिसे साफ करवाकर नवंबर तक सरकारी खर्चे पर गेहूं की फसल की बुआई कर दी जाएगी, ताकि किसान आगे खुद खेती कर सकें। खेती करने वाले किसानों को बीएसएफ सुरक्षा मुहैया करवाएगी।