जून 2018 में ईद से ठीक पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकियों ने आर्मी जवान औरंगजेब की हत्या कर दी थी। उनकी मौत का बदला लेने के लिए करीब 50 युवक खाड़ी देश से अपनी जमी-जमाई नौकरी छोड़कर वापस लौट आए हैं। औरंगजेब दक्षिण कश्मीर के रहने वाले थे। उनके गांव का नाम सलानी है। ये युवक शहीद औरंगजेब के दोस्त हैं।
आपको बता दे कि सलानी गांव के लोग औरंगजेब की शहादत का बदला लेने के लिए एकजुट हो गए और साफ कह दिया कि हम अपने भाई, बेटे की शहादत का बदला जरूर लेंगे। इस गांव के पचास के करीब युवा अरब देशों में कार्य करने के लिए गए हुए थे अब वह युवा भी अपनी नौकरी को छोड़कर अपने घरों को लौट आए है और अब यह सेना व पुलिस में भर्ती होकर औरंगजेब की शहादत का बदला लेने बेताब है। कब यह सेना व पुलिस में भर्ती हो और कब यह आतंकवादियों का सफाया कर शहीद औरंगजेब की आत्मा को शांति पहुंचा सके।
मोहम्मद किरामत ने बताया कि जैसे ही भाई औरंगजेब की हत्या की खबर सुनी हमने उसी दिन सऊदी अरब छोड़ दिया। हमने जबरदस्ती करके नौकरी छोड़ी। हमने किसी तरह से ये सब कुछ मैनेज किया। गांव के 50 युवक हमारे साथ वापस आ गये। हमारा अब एक ही मकसद है औरंगजेब की मौत का बदला।
जम्मू-कश्मीर : महिला दोस्त की वजह से शहीद हुए औरंगजेब, सेना की हिदायत- स्थानीय महिलाओं से दोस्ती न करें जवान
आपको बता दें कि औरंगजेब की हत्या के बाद से घाटी में इसी तरह से दो पुलिसकर्मियों और एक सीआरपीएफ जवान की हत्या हो चुकी है। सीआरपीएफ के जवान नसीर रादर की मौत की बात उनके परिजन स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। जिनकी हत्या पुलवामा में 29 जुलाई की गई है।
दरअसल जम्मू-कश्मीर के सक्रिय आतंकवादी संगठनों ने धमकी दी है कि यहां के युवा पुलिस और सेना की नौकरी न करें और वह तुरंत इस्तीफा दें। अभी बीते महीने ही एसपीओ मुदासीर वानी का भी दक्षिणी कश्मीर से अपहरण कर लिया गया था। इसके बाद आतंकवादियों की ओर से एक वीडियो जारी कर गया कि सभी लोग एसपीओ की नौकरी छोड़ दें।
वही ,वीडियो में मुदसीर वानी ने भी कहा कि एसपीओ की नौकरी बहुत ही अपमानजनक है। हालांकि घाटी के लोग जो सेना और पुलिस में शामिल हैं उनका कहना है कि यह मुंदसीर ने यह बात आतंकियों के दबाव में बोली है।
बता दे कि औरंगजेब को आतंकियों ने 14 जून को अगवा किया था। पुलवामा में उसी दिन रात में उनका गोलियों से छलनी शव मिला था। वे ईद मनाने के लिए छुट्टी लेकर घर जा रहे थे। आतंकियों ने औरंगजेब का मरने से पहले का वीडियो भी जारी किया था। औरंगजेब के पिता हनीफ सेना से रिटायर्ड हैं। 2014 में आतंकियों ने औरंगजेब के चाचा को अगवा कर उनकी हत्या कर दी थी। पुंछ में औरंगजेब के सुपुर्द-ए-खाक के दौरान अंतिम विदाई देने के लिए हजारों लोग मौजूद थे।