एक तरफ देश की रक्षा के लिए जवान सीमा पर शहीद हो रहे हैं, दूसरी तरफ उनकी शहादत पर सियासत हो रही है। हालांकि ऐसा करने वालों को सेना ने करारा जवाब दिया है। स्पष्ट रूप से कहा है कि शहीदों को धर्म के चश्मे से ना देखा जाए, क्योंकि उनका कोई धर्म नहीं होता है।
गौरतलब है कि एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सुंजवां आतंकी हमले में शहीद हुए जवानों को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि शहीद हुए सात जवानों में से पांच मुस्लिम थे।
आपको बता दे कि ओवैसी ने कहा कि सुंजवान की घटना में पांच कश्मीरी मुसलमानों ने अपना बलिदान दिया है। आप इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहे हैं?’’ हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने आतंकी हमलों से ‘सबक नहीं सीखने’ को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना भी की। ओवैसी ने कहा, ‘‘रात नौ बजे प्राइम टाइम बहस में शामिल होने वाले तथाकथित राष्ट्रवादी लोग मुसलमानों और कश्मीरी मुसलमानों के राष्ट्रवाद पर सवाल करते हैं।
कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अनबू ने कहा कि आतंकवाद के लिए सोशल मीडिया भी जिम्मेदार है क्योंकि बड़े पैमाने में युवा इसमें फंस रहे हैं। हमें इस पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि तीनों आतंकी संगठन हिजबुल, जैश और लश्कर में कोई अंतर नहीं है। वह एक-दूसरे संगठन में आते जाते रहते हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई भी देख के खिलाफ हथियार उठाएगा तो वह एक आतंकवादी है और सेना उससे बखूबी निपटेगी।
उन्होंने कहा कि हमारा दुश्मन निराश है इसलिए वह आसान निशाना बना रहा है। जब वह सीमा पर विफल होते हैं तो सेना के कैंप को निशाना बनाते हैं। युवा आतंकी संगठन में शामिल हो रहे हैं यह चिंता का विषय है और हमें इस पर ध्यान देने की जरूरत है। 2017 में हमें इनके नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित किया था और उन्हें खत्म किया था।
24X7 नई खबरों से अवगत रहने के लिए क्लिक करे।