कांग्रेस ने रविवार को गुलाम नबी आजाद पर पलटवार किया और उन पर अपने ‘‘राजनीतिक आकाओं’’ के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह जम्मू कश्मीर के लोगों को मूर्ख बनाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं।
आजाद ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का एक बार फिर किया प्रयास – कांग्रेस
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने कहा कि आजाद ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों से अनुचित सहानुभूति हासिल करने के प्रयास में इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करने का एक बार फिर प्रयास किया है।
आजाद द्वारा जम्मू में एक रैली में किये गए दावों का खंडन करते हुए रमेश ने एक बयान में कहा, ‘‘गुलाम नबी आजाद ने अपने आकाओं द्वारा सौंपे गए कार्य को पूरा करते हुए आज फिर जम्मू कश्मीर के लोगों की अनुचित सहानुभूति प्राप्त करने के प्रयास के तहत इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।’’
रमेश ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने यह झूठ कहा कि उन्होंने पहला चुनाव लड़ा, जिसमें वह बिना किसी की मदद के अपने बूते कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए।
रमेश ने कहा, ‘‘यह एक सफेद झूठ है। 1980 में, वह महाराष्ट्र के वाशिम निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए थे, जो कांग्रेस का गढ़ था। इससे पहले उन्हें अपने गृह राज्य (जम्मू कश्मीर) में एक विधानसभा चुनाव में अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था।’’
आज़ाद का लोगों से ‘जुड़़ाव रखने वाला नेता’ होने का दावा सच्चाई से दूर – रमेश
रमेश ने कहा, ‘‘आज़ाद का लोगों से ‘जुड़़ाव रखने वाला नेता’ होने का दावा सच्चाई से दूर है। सांख्यिकीय आधार पर और तथ्यात्मक रूप से, वह विधानसभा उप-चुनाव में जीत हासिल करने के अलावा कभी भी कोई चुनाव नहीं जीत पाए हैं।’’
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि आजाद को उनके प्रथम चुनाव में 959 वोट मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी, इसके बाद उनके राजनीतिक जीवन का अधिकांश हिस्सा राज्यसभा सदस्य के रूप में बीता।
रमेश ने अपने बयान में कहा, ‘‘2014 में, उन्होंने (आजाद ने) फिर से अपनी चुनावी किस्मत आजमाई और भाजपा के जितेंद्र सिंह के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़े। आजाद को चुनाव में 60,000 से अधिक मतों के भारी अंतर से पराजित होना पड़ा।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘वह (आजाद) बड़े जनाधार वाले नेता नहीं हैं और न ही वह जमीन से जुड़े हुए हैं, वह वास्तव में सत्ता लोलुप हैं, जिनका कोई सिद्धांत नहीं है और ना ही उनका कोई नैतिक दायरा है।’’
रमेश ने कहा, ‘‘राहुल गांधी के खिलाफ अपने व्यक्तिगत हमलों में, उन्होंने फिर से अपने ही रुख का खंडन किया। 2013 में, उन्होंने स्वयं राहुल जी को पार्टी के नेता के रूप में समर्थन दिया था और फिर उन्होंने स्वयं जम्मू कश्मीर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर विकार रसूल वानी के नाम की सिफारिश की थी।’’
रमेश ने कहा, ‘‘अपने आकाओं के निर्देश पर पार्टी से अलग होने के बाद सार्वजनिक रूप से झूठ फैलाने का कोई मतलब नहीं है। कांग्रेस उनके काल्पनिक और भ्रामक अतिशयोक्ति की निंदा करती है।’’
रमेश ने आजाद के भाषण के प्रमुख हिस्सों को लेकर भी उन पर निशाना साधा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी के साथ अपने प्रारंभिक राजनीतिक सफर का संदर्भ दिया था।
गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद रविवार को अपनी पहली रैली में अपनी भावी पार्टी के एजेंडे का जिक्र किया, जिसमें जम्मू कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराना, राज्य के निवासियों के भूमि और रोजगार के अधिकारों की सुरक्षा तथा कश्मीरी पंडितों की वापसी और पुनर्वास शामिल हैं।
जम्मू कश्मीर की जनता और नेताओं से परामर्श करने के बाद अपनी नयी पार्टी का नाम घोषित करेंगे – आजाद
जम्मू के पास सैनिक कॉलोनी में एक बड़ी सभा को संबोधित करते हुए आजाद ने कहा कि वह जम्मू कश्मीर की जनता और नेताओं से परामर्श करने के बाद अपनी नयी पार्टी का नाम घोषित करेंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि पार्टी का नाम ‘‘न तो मौलाना की उर्दू भाषा में होगा और ना ही पंडित की संस्कृत भाषा में होगा।’’
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद के जम्मू हवाई अड्डे पर पहुंचने पर बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किया और फिर उन्हें रैली स्थल तक ले गये।
कांग्रेस छोड़ने के कुछ दिनों बाद, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधा और कहा कि उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से झूठ फैलाने वालों के विपरीत पार्टी के लिए ‘पसीना और खून’ बहाया है।
आजाद ने हालांकि, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की प्रशंसा की और कहा कि उन्होंने उनके कांग्रेस छोड़ने पर टिप्पणी करते हुए एक सम्मानित नेता की तरह व्यवहार किया।
आजाद ने राहुल की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘जो लोग मुझे बदनाम करना चाहते हैं, उनकी पहुंच केवल ट्विटर या कंप्यूटर, एसएमएस के जरिये दुष्प्रचार करने तक है, यही मुख्य कारण है कि कांग्रेस जमीन से गायब हो गई है।’’