केन्द्र जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों की वास्तविक चिंताओं और आशंकाओं को नजरअंदाज कर रहा : NPP - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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केन्द्र जम्मू-कश्मीर के बाशिंदों की वास्तविक चिंताओं और आशंकाओं को नजरअंदाज कर रहा : NPP

नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को केन्द्र पर आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद केंद्र सरकार राज्य के बाशिंदों की ‘वास्तविक चिंताओं और आशंकाओं’ को नजरअंदाज कर रही है।

जम्मू : नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने रविवार को केन्द्र पर आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद केंद्र सरकार राज्य के बाशिंदों की ‘वास्तविक चिंताओं और आशंकाओं’ को नजरअंदाज कर रही है। 
एनपीपी के अध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने कहा कि एनपीपी पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन के माध्यम से भूमि और रोजगार की सुरक्षा से जुड़ी लोगों की चिंताओं से अवगत करा चुकी है। इस मुद्दे का हल होने तक आंदोलन जारी रहेगा। 
सिंह ने यहां एक बयान में कहा, ‘केंद्र पूरी तरह से लद्दाख पर केंद्रित दिखाई दे रहा है। जम्मू-कश्मीर के लोग नवीनतम निर्णयों के प्रतिकूल परिणामों को महसूस कर रहे हैं… लोग चाहते हैं (अंतिम डोगरा शासक) महाराजा हरि सिंह के शासन के दौरान लागू अधिवास कानून उनके हितों की रक्षा करना जारी रखें।’
 
सिंह ने कहा कि स्थानीय किसानों को संरक्षण देने वाले कानूनों के खत्म होने के बाद राज्य के गरीबों और कमजोर भूस्वामियों को भू-माफियाओं द्वारा धमकाए जाने की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता। 
उन्होंने कहा कि रोजगार के अवसरों के छिनने का खतरा भी एक गंभीर मुद्दा है, जो बेरोजगार शिक्षित युवाओं के मन में खटक रहा है। 
उन्होंने कहा, ‘एक डरावनी स्थिति पैदा हो रही है, जिसमें बेरोजगार युवा इस बात को लेकर बेचैन और नाराज हैं कि उनकी वास्तविक चिंताओं और आशंकाओं को सुनने वाला कोई दिखाई नहीं दे रहा।’ 
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों के हजारों मजदूर एवं अन्य श्रमिक पहले से ही जम्मू-कश्मीर, विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में रह रहे हैं, ऐसे में स्थानीय लोगों की चिंता वाजिब लगती है। 
उन्होंने कहा, ‘केंद्र प्रस्तावित कानून और छठी अनुसूची में संशोधन के आधार पर लद्दाख के इतिहास, संस्कृति, भूमि और रोजगार का संरक्षण करना चाहता है, जबकि जम्मू-कश्मीर के प्रति उसकी उदासीनता न केवल निंदनीय बल्कि त्रुटिपूर्ण भी है।’ 

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