कश्मीर वार्ता के लिए केंद्र के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा ने आज कहा कि नयी भूमिका में उनका जोर घाटी के युवाओं को ऑनलाइन दुष्प्रचार की गिरफ्त में आने से रोकना होगा। अपनी नयी भूमिका में पहली बार इस हफ्ते जम्मू कश्मीर जा रहे शर्मा ने कहा कि झूठी नारेबाजी और ऑनलाइन दुष्प्रचार का मुकाबला करना उनका शीर्ष एजेंडा हो ताकि युवाओं को अकारण हिंसा से दूर किया जा सके। कश्मीर मामलों के जानकार 61 वर्षीय शर्मा ने यहां पीटीआई भाषा से कहा, आश्चर्य से सभी मुझसे पूछते हैं कि क्या मैं हुऱ्यित और अन्य अलगाववादी संगठनों से मिलना चाहता हूं या नहीं। मैं सभी से मिलने को तैयार हूं जैसा कि केंद्रीय गृह मंत्री (राजनाथ सिंह) ने घोषणा के दौरान स्पष्ट किया था। सर्वप्रथम ऐसी शंका उठती ही क्यों है?
उन्होंने कहा, मैं किसी ब्लिंकर (यह देखो और यह नहीं देखो) के साथ घाटी नहीं जा रहा। मैं हर उस आम आदमी से मिलने जा रहा हूं जिसकी वाकई कोई शिकायत है। खुफिया ब्यूरो के प्रतिष्ठित निदेशक पद तक पहुंचे केरल संवर्ग के 1979 के बैच के आईपीएस अधिकारी शर्मा को जम्मू कश्मीर पर निरंतर वार्ता के लिए केंद्र का प्रतिनिधि नियुक्त किया गया है। जब शर्मा से पूछा गया कि उनका जोर युवाओं पर क्यों है, तो उन्होंने कहा, व्यक्ति को यह समझने की जरुरत है कि युवा और विद्यार्थी हमारे भविष्य हैं। उन्हें अगले कुछ सालों में जम्मू कश्मीर को नयी रूचाइयों तक ले जाना है और यही वजह है कि मेरा प्रयास इस चरण में उनकी गलतफहमी या गलत धारणा को दूर करना है ताकि वे एकाग, दृष्टि से तरक्की करे।
उन्होंने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि युवा कश्मीरी ऑनलाइन दुष्प्रचार से कट्टरपंथी होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा, व्यक्ति को उसका मुकाबला करने की जरुरत है और यह पूर्णकालिक कार्य है। हमें उनके सवालों का जवाब देना है और मैं आशा करता हूं कि मैं ऐसा कर पारूंगा। बिहार से ताल्लुक रखने वाले शर्मा ने कहा कि उनका कश्मीर से भावनात्मक लगाव 1992 में घाटी में उनकी पहली क्षेत्रीय पोस्टिंग से जुड़ है। उन्होंने कहा, तब से काफी कुछ बदल चुका है। मेरा जोर घाटी में शांति के बांधों का निर्माण करना होगा। शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद, मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में दिये गये कथन का उल्लेख किया और कहा, मैं बस शांति का संदेश लेकर जा रहा है जैसा कि प्रधानमंत्री ने मुझपर सौंपा है। प्रधानमंत्री भी राष्ट्र और राज्य के युवाओं पर बल देते हैं।
जब उनसे यह सवाल किया गया कि कुछ राजनीतिक दल यह मांग करते हैं कि पाकिस्तान को भी कश्मीर मुद्दे का एक पक्ष बनाया जाना चाहिए, उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा, मेरा क्षेत्राधिकार अपने लोगों के लिए शांति सुनिश्चित करना है। इससे परे मुद्दे मेरे विषय से बाहर है। जब उनसे यह पूछा गया कि वह कल घाटी जायेंगे तब उन्होंने कहा, यह इसी हफ्ते बाद में होगा। जब शर्मा से यह सवाल किया गया कि कैसे केंद्र के वार्ताकार के रुप में उनकी नियुक्ति ऐसे पिछले कदमों से भिन्न है, तो उन्होंने तपाक से कहा, मेरा काम तुलना करना नहीं है। मेरे हाथ में अपनी योज्ञता के हिसाब से करने के लिए काम है और मैं वही करुंगा। तुलना करना इतिहासकारों का काम है।