कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई ने अपने कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिए जाने के विरोध में ब्लॉक विकास परिषद (बीडीसी) चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है। राज्य कांग्रेस प्रमुख गुलाम अहमद मीर ने कहा कि राज्य प्रशासन का ‘‘उदासीन’’ रवैया और घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की हिरासत के विरोध में यह कदम उठाया गया है।
जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव 24 अक्टूबर को होने वाले हैं। केन्द्र सरकार के पांच अगस्त को जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त करने के बाद पहली बार यहां चुनाव हो रहे हैं।
जम्मू कश्मीर हमेशा केंद्रशासित राज्य नहीं रहेगा, स्थिति सुधरने पर राज्य का दर्जा दिया जायेगा : अमित शाह
मीर ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘कांग्रेस लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत करने में विश्वास रखती है और कभी किसी चुनाव से पीछे नहीं हटी। लेकिन आज, हम राज्य प्रशासन के उदासीन रवैये और घाटी में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में रखे जाने के कारण बीडीसी चुनाव ना लड़ने का निर्णय लेने को मजबूर हैं।’’
मीर ने प्रशासन पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि पीडीपी और नेकां भी इन्हीं कारणों से चुनाव में भाग नहीं ले रही है। उन्होंने कहा, ‘‘ यदि वे भारतीय जनता पार्टी की जीत सुनिश्चित करना चाहते हैं और उसे वाकओवर देना चाहते हैं तब उन्हें बगैर प्रमुख राजनीतिक पार्टियों की भागीदारी के चुनाव करा लेना चाहिए।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक ओर केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को नयाकेंद्र प्रशासित प्रदेश घोषित किया है और दूसरी ओर 73वां संशोधन किये बगैर बीडीसी चुनाव कराये जा रहे हैं। उन्होंने कहा,‘‘ चूंकि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश बन चुके हैं, ऐसे में सभी केंद्रीय कानून खुद ब खुद दोनों प्रदेशों में लागू हो गये हैं, इस तरह बगैर 73वां संशोधन किये बीडीसी चुनाव नहीं कराये जा सकते क्योंकि यह केंद्रीय कानून पर आधारित नहीं है।’’
उन्होंने कश्मीर घाटी की स्थिति को बदतर बताते हुए कहा कि हम दुकानों के बंद होने या नेताओं के नजरबंद होने से उतने चिंतित नहीं हैं, जितना कि अगली पीढ़ के भविष्य को लेकर जो एक खतरनाक मोड़ पर है। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्तरों के सभी शिक्षण संस्थान पिछले 66 दिनों से बंद हैं तथा युवाओं का भविष्य अंधकारमय है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने कश्मीर घाटी में अधिकतर कांग्रेस नेताओं पर जारी पाबंदियों के आलोक में बीडीसी चुनाव को लेकर सभी पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श किया है।
मीर ने कहा कि कांग्रेस की ओर से सरकार द्वारा एकतरफा घोषित पार्टी आधार पर बीडीसी चुनावों में भाग लेने की इच्छा के बाद भी सरकार की ओर से पूरा असहयोग किया गया लेकिन कांग्रेस पार्टी की ओर से चुनाव टालने की मांग पर विचार नहीं किया गया, इसलिए सर्वसम्मति से चुनावों के बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि 24 अक्टूबर को होने वाले इस चुनाव के लिए नामांकन पत्र भरने का आज आखिरी दिन था।