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महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान – ‘जेल जाने के बजाय आतंकवाद की रास्ते’ जा रहे हैं कश्मीर के युवा

पीपीडी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को इस बात पर बल दिया कि पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर में संबंधित पक्षों के साथ वार्ता तथा सीमापार रास्तों को खोलने से शांति आ सकती है और इस समस्या का स्थायी हल मिल सकता है।

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को इस बात पर बल दिया कि पाकिस्तान और जम्मू कश्मीर में संबंधित पक्षों के साथ वार्ता तथा सीमापार रास्तों को खोलने से शांति आ सकती है और इस समस्या का स्थायी हल मिल सकता है। महबूबा मुफ्ती ने भाजपा को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बताये गये रास्ते पर चलने का सुझाव दिया । 
पूर्व मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि घाटी में ‘आतंकवाद बढ़ रहा है’ तथा ‘‘बीच का कोई रास्ता नहीं छोड़े जाने एवं सत्ता के दम पर असंतोष की आवाज को बंद करा दिये जाने ’ के बाद अधिकाधिक युवा ‘जेल जाने के बजाय आतंकवाद की रास्ते’ की ओर जाने लगे हैं। 
जम्मू की अपनी पांच दिवसीय यात्रा के समापन पर महबूबा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘घृणा और विभाजन की राजनीति के जरिए माहौल बिगाड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं। भाजपा के शासन में आतंकवाद बढ़ने के कारण हम जैसे लोगों के लिए कश्मीर में रहना मुश्किल हो रहा है।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘ वे कह रहे हैं कि आतंकवाद का सफाया हो गया है जबकि हकीकत यह है कि हर गांव से कम से कम 12-15 युवक आतंकवाद से जुड़ रहे हैं।’’ जन सुरक्षा कानून के तहत 14 महीने की हिरासत से मुक्त किये जाने के बाद महबूबा की यह पहली जम्मू यात्रा थी। उन्हें पिछले साल जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को हटाये जाने के बाद हिरासत में लिया गया था। 
उन्होंने कहा कि आतंकवाद बढ़ रहा है क्योंकि ‘‘आपने (भाजपा ने) सभी आवाजें दबा दीं और लोगों के लिए बीच का रास्ता छोड़ा ही नहीं। युवा दो विकल्पों पर विचार कर रहा है– जेल जाया जाए या बंदूक उठाया जाए तथा वह जेल जाने के बजाय मारे जाने के लिए दूसरा रास्ता चुन रहा है।’’ महबूबा ने कहा कि सीमा पर स्थिति लोगों के लिए चिंता का सबब है क्योंकि स्थानीय लोगों को निरंतर सीमापार गोलाबारी से अपनी जान का डर सता रहा है। 
जब उनसे कहा गया कि पाकिस्तानी गोलाबारी एवं उसमें नागरिकों के हताहत होने में कमी नहीं आ रही है, तब ऐसे में उससे संवाद कैसे संभव है, तो उन्होंने कहा, ‘‘ हमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा बताये गये रास्ते से मार्गदर्शन प्राप्त करना होगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘कारगिल युद्ध और संसद पर हमले के बावजूद उन्होंने पाकिस्तान के साथ दोस्ती की, फलस्वरूप आतंकवाद घटा था एवं सीमा पर गोलीबारी भी रूकी थी। ’’ 
महबूबा ने कहा, ‘‘ हमें उससे मार्गदर्शन प्राप्त करना होगा और उसके (पाकिस्तान के) साथ तथा जम्मू कश्मीर में संबंधित पक्षों के साथ बातचीत करनी होगी। जब हम चीन के साथ आठ दौर की बातचीत कर सकते हैं जिसने हमारे हमारे 20 सैनिकों को शहीद कर दिया और हमने अंगुली भी नहीं उठायी।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘ हम अपनी एक एक इंच जमीन के लिए उनके साथ बातचीत कर रहे हैं जबकि उसने हमारी 100 वर्गकिलोमीटर जमीन कब्जा कर ली है। यह दोहरा मापदंड क्यो है? उन्हें याद करना चाहिए कि वाजपेयी उनके मार्गदर्शक हैं और उन्हें उनके बताये रास्ते पर चलना चाहिए।’’ 
उन्होंने कहा, ‘‘ जम्मू कश्मीर के दोनों हिस्से हमारे हैं। हमें जम्मू कश्मीर के दोनों हिस्सों को साथ लाने और जम्मू कश्मीर का स्थायी समाधान ढूढने के लिए मार्गों को खोलना होगा ताकि इस क्षेत्र में शांति आए और अपनी आक्रामकता दिखा रहा चीन भी रूके।’’ महबूबा ने कहा कि वह चाहती हैं कि जम्मू कश्मीर भारत एवं उसके पड़ोसियों के बीच ‘शांति एवं मैत्री’ का सेतु बने। 

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