जम्मू कश्मीर में वार्षिक अमरनाथ यात्रा के दौरान तैनात किए जाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को “स्टिकी बम” के खतरों से निपटने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस समस्या से निपटने में सतर्कता सबसे अहम है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने पिछले साल फरवरी में सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के निकट ड्रोन से गिराए गई हथियारों की एक खेप को जब्त किया था जिसमें 14 संवर्धित विस्फोटक उपकरण (आईईडी) के अंदर चुंबक लगा हुआ था। यह इस तरह की बरामद की गई विस्फोटक की पहली खेप थी।
स्टिकी बम’ के खतरे से निपटने में सतर्कता सबसे अहम
इनका इस्तेमाल ‘स्टिकी बम’ (चिपकाने वाले बम) के तौर पर हो सकता है जिसे किसी भी वाहन पर चिपकाया जा सकता है और टाइमर या रिमोट के जरिये इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सीआरपीएफ के हीरानगर रेंज के उप महानिरीक्षक देवेंदर यादव ने कहा कि ‘स्टिकी बम’ के खतरे से निपटने में सतर्कता सबसे अहम है।
यहां सीआरपीएफ इकाइयों की अंतर-बटालियन भारोत्तोलन प्रतियोगिता के उद्घाटन के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “इस समस्या से निपटने का सतर्कता बरतने के अलावा और कोई तरीका नहीं है। हमारे दायित्व वाले क्षेत्र में सुरक्षा बंदोबस्त को चौकस रखा जाएगा और जवानों को इस खतरे के बारे में प्रशिक्षित किया जाएगा।
पूर्व में पुंछ जिले में अगस्त में चार ‘स्टिकी बम’ जब्त किए गए थे
हिमालयी तीर्थ स्थल की 43 दिनों तक चलने वाली यह यात्रा 30 जून से दो मार्गों – दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में नूनवान से 48 किलोमीटर और मध्य कश्मीर के गांदेरबल से 14 किलोमीटर छोटे मार्ग बालटाल – से होगी। कोविड महामारी के कारण इस बार दो साल के अंतराल के बाद यात्रा हो रही है।
सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण आतंकवादियों द्वारा ‘स्टिकी बम’ का इस्तेमाल कर हमला करने की कई साजिशों को बीते एक साल के दौरान नाकाम किया गया है। बीते 28 अप्रैल को भी सुरक्षा बलों ने जम्मू के बाहरी इलाके सिधरा बाइपास क्षेत्र में समय पर एक आईईडी का पता लगा हमले को नाकाम बना दिया था। पूर्व में पुंछ जिले में अगस्त में चार ‘स्टिकी बम’ जब्त किए गए थे। इससे पहले पिछले साल सितंबर में भी यहां चार आईईडी बरामद हुए थे। सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा कि अमरनाथ यात्रा से संबंधित सुरक्षा इंतजाम किए जा रहे हैं और सभी एजेंसियां अपनी भूमिका निभा रही हैं।