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जम्मू-कश्मीर : घाटी में आतंकवादियों पर लगेगी लगाम, DGP दिलबाग ने दिए निर्देश

जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा, “भूमिगत बंकर और अस्थायी गुफा कोई नयी बात नहीं है। दक्षिण कश्मीर में ऐसे कई उदाहरण मिले हैं। एक बार तो आतंकवादी एक शौचालय के सेप्टिक टैंक में छिपे हुए थे।”

जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई से बचने के लिये आतंकवादी संगठनों के शौचालयों के नीचे बंकर बना कर उसमें छिपने का एक नया चलन देखने को मिल रहा है। पुलिस और सेना के अधिकारियों का मानना है कि सुरक्षा बलों के साथ हुईं विभिन्न मुठभेड़ में कई आतंकवादियों के मारे जाने के बाद आतंकवादी संगठन और उनसे सहानुभूति रखने वालों पर छिपने के लिये नये ठिकाने ढूंढने का दबाव बढ़ रहा है।
इसकी एक वजह यह भी है कि स्थानीय आबादी के साथ रहते हुए आतंकवादियों को बड़ा खतरा महसूस होने लगा है। जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा, ”भूमिगत बंकर और अस्थायी गुफा कोई नयी बात नहीं है। दक्षिण कश्मीर में ऐसे कई उदाहरण मिले हैं। एक बार तो आतंकवादी एक शौचालय के सेप्टिक टैंक में छिपे हुए थे। ”
सिंह ने अनंतनाग में सुरक्षा बलों को आतंकवादियों पर दबाव बनाने का निर्देश देते हुए आतंकवादियों तथा सीमा पार बैठे उनके आकाओं की देश विरोधी योजनाओं से निपटने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने अनंतनाग तथा बारामूला के वरिष्ठ अधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बातचीत करते हुए कहा, ‘‘मौजूदा वर्ष में प्रदेश में आतंकवादियों के विरुद्ध अभियानों के अच्छे नतीजे आये हैं। ’’
एक पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि सिंह ने आज अनंतनाग में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कानून व्यवस्था बनाने में एक दूसरे के साथ समन्वय स्थापित करने को कहा। उन्होंने प्रदेश के युवकों को आतंकवादी संगठनों में शामिल होने से रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने पर बल दिया। तथा आतंकवादियों के नेटवर्क और जमीनी स्तर पर उनका समर्थन करने वाली प्रणाली को ध्वस्त करने पर जोर दिया।
इस साल मार्च में अनंतनाग के वटरीगाम इलाके में एक अस्थायी गुफा का पता लगाने वाले सेना के दल के एक अधिकारी ने घटना के बारे में बताते हुए कहा उन्होंने एक घर के अंदर शौलालय के आसपास सफेद सीमेंट लगा हुआ देखा, जहां आतंकवादियों की मौजूदगी की खुफिया जानकारी मिली थी। 
अधिकारी ने मार्च में हुए उस अभियान को याद करते हुए बताया, ”हमें भटकाने के लिये शौचालय की सीट पर मानव मल पड़ा हुआ था, लेकिन टूटी हुई टाइलें और हाल ही में डाले गए सफेद सीमेंट ने यह भेद खोल दिया। हमने शौचालय की खुदाई शुरू की तो नीचे से गोलीबारी हुई। जवाबी कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा के चार आतंकवादी मारे गए।” 
सैन्य अधिकारियों के अनुसार 2019 में दक्षिण कश्मीर के पुलवामा-शोपियां सीमा पर लस्सीपुरा इलाके में भी ऐसी ही घटना देखने को मिली, जब छिपे हुए आतंकवादियों का पता लगाने के लिये छह बार एक घर की तलाशी ली गई। आखिर में उन्हें ढूंढने के लिये सेप्टिक टैंक की खुदाई की गई। 
हाल ही में पुलिस महानिरीक्षक (कश्मीर रेंज) विजय कुमार और उप महानिरीक्षक (दक्षिण) ए के गोयल के साथ मौजूद डीजीपी सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया था, ”हमने विशेष रूप से दक्षिण कश्मीर में आतंकवादियों के कई ठिकानों में रसोई, स्नानघर और सभा कक्ष में अस्थायी दीवारें देखी हैं।” 
सेना आतंकवादियों के ठिकानों और भूमिगत बंकरों का पता लगाने के लिये ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है। 

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