हिंदू समुदाय के सरकारी कर्मचारियों ने लक्षित हत्याओं के खिलाफ शनिवार को लगातार तीसरे दिन तवी पुल पर धरना दिया और राजमार्ग को बाधित किया। उन्होंने घाटी में दोबारा काम पर जाने से भी इंकार कर दिया है।
कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें कश्मीर घाटी से स्थानांतरित कर जम्मू क्षेत्र के उनके गृह जिलों में तैनात किया जाए।
दक्षिण कश्मीर के कुलगाम जिले में मंगलवार को सरकारी स्कूल में आतंकवादियों द्वारा शिक्षिका रजनी बाला की हत्या किए जाने के बाद कश्मीर में कार्यरत अधिकतर डोगरा कर्मचारी जम्मू लौट आए हैं।
‘‘आल जम्मू-बेस्ट रिजर्व कैटगरी एम्प्लॉई एसोसिएशन’’ के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने प्रेस क्लब से राजमार्ग पर बने तवी ब्रिज तक मार्च निकाला और शहर के केंद्र में स्थित इस स्थान पर धरना दिया।
प्रदर्शनकारियों ने ‘‘हमे न्याय दें’’ और ‘रजनी बाला अमर रहे’’ के नारे लगाए। उन्होंने हिंदुओं की लक्षित हत्या की चल रही श्रृंखला के मद्देनजर कश्मीर में अपनी तैनाती वाले स्थान जाने से इंकार कर दिया।
प्रदर्शन में शामिल रशपाल सिंह ने कहा कि लक्षित हत्याओं के बाद पैदा हुए माहौल की वजह से वे ड्यूटी करने कश्मीर नहीं लौटेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां मरना पसंद करेंगे बजाय दोबारा वहां लौटना।’’
इस बीच, प्रधानमंत्री रोजगार पैकेज के तहत घाटी में नौकरी कर रहे कुछ हजार कश्मीरी पंडित कर्मचारी अपने परिवार के साथ जम्मू लौट आए हैं। उनका कहना है कि हाल में आतंकवादियों द्वारा की गई लक्षित हत्याओं की वजह से घाटी में डर का माहौल है।
पंडितों ने कहा कि वे जम्मू के बाहरी इलाके स्थित जगती टाउनशिप में आकर सुकून महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गत कुछ सप्ताह कश्मीर में किराए के घरों में भय की वजह से बिना सोए रातें काटी हैं।