जम्मू-कश्मीर बैंक से फ्रॉड मामले में मसाला कंपनी पर एक्शन, 145 करोड़ रूपए की ईडी ने कुर्क की संपत्ति - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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जम्मू-कश्मीर बैंक से फ्रॉड मामले में मसाला कंपनी पर एक्शन, 145 करोड़ रूपए की ईडी ने कुर्क की संपत्ति

प्रवर्तन निदेशालय ने जम्मू एंड कश्मीर बैंक में कथित ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी धनशोधन मामले की जांच के तहत मसालों का कारोबार करने वाली बेंगलुरु की एक कंपनी की 145 करोड़ रूपए की संपत्ति कुर्क कर ली है।

प्रवर्तन निदेशालय ने जम्मू एंड कश्मीर बैंक में कथित ऋण धोखाधड़ी से जुड़ी धनशोधन मामले की जांच के तहत मसालों का कारोबार करने वाली बेंगलुरु की एक कंपनी की 145 करोड़ रूपए की संपत्ति कुर्क कर ली है। एजेंसी ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि एस ए रावथर स्पाइसेज प्राइवेट लिमिटेड के एक कारखाने की इमारत, उसकी दुकानों, फ्लैट एवं कंपनी की भूमि और अन्य को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अस्थायी रूप से कुर्क किया गया है।
इसने कहा कि कुर्क की गई संपत्ति का कुल मूल्य 145.26 करोड़ रूपए है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने कंपनी और उसके प्रमोटर निदेशक सैयद अनीश रावथर, बेंगलुरु में बीयू इन्फेंट्री रोड स्थित जे एंड के बैंक की एक शाखा के तत्कालीन प्रबंधक और इसी बैंक के अन्य अधिकारियों के खिलाफ अगस्त, 2019 में एक प्राथमिकी दर्ज की थी। 
इसी के आधार पर ईडी का यह मामला बना है। ईडी ने एक बयान में कहा, ‘‘प्राथमिकी में यह आरोप लगाया गया है कि एस ए रावथर स्पाइसेस प्राइवेट लिमिटेड ने ऋण का भुगतान नहीं किया और सितंबर, 2017 में उसे एनपीए (गैर-निष्पादित परिसंपत्ति) घोषित किया गया था।’’ 
बयान में कहा गया है कि कंपनी ने 171 करोड़ रूपए की संपत्ति गिरवी रखी थी, उसे 285.81 करोड़ रूपए की शुद्ध राशि और 66.91 करोड़ रूपए ब्याज चुकाना था। उसने कहा कि इसी अवधि में कंपनी ने ‘‘एचडीएफसी बैंक से 16.5 करोड़ रूपए और आरबीएल बैंक से 25 करोड़ रुपये का ऋण लिया और इसके लिए उसी सम्पत्ति को गिरवी रखा, जो पहले ही जे एंड के बैंक लिमिटेड के पास गिरवी रखी गई थी।’’
एजेंसी ने दावा किया, ‘‘(जे एंड के बैंक के) तत्कालीन शाखा प्रबंधक ने कंपनी के प्रमोटर/ निदेशक के साथ मिलकर राजकोष को 352.72 करोड़ रूपए का नुकसान पहुंचाया।’’ उसने दावा किया कि कंपनी ने कई ऋण प्राप्त किए और उनका उपयोग ज्यादातर संबंधित पक्षों को माल निर्यात करने के लिए किया और निर्यात आय भारत में कभी वसूल नहीं हुई।

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