जम्मू-कश्मीर के गुरुवार को औपचारिक रुप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित होने के बीच राज्य के तीन पूर्व मुख्यमंत्री और कई राजनीतिक दल के नेता पांच अगस्त से नजरबंद हैं। नजरबंद नेताओं पर घाटी के युवकों को पथराव के लिए पैसा देकर शांति भंग करने का आरोप है।
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35 ए को इस वर्ष पांच अगस्त को खत्म किये जाने के बाद से पत्थरवाजों के अलावा 100 से अधिक अलगाववादी नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से अधिकांश लोगों को सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है और राज्य का विशेष दर्जा खत्म होने के साथ ही उन्हें तुरंत घाटी से बाहर ले जाया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, उनके पुत्र एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती महबूबा को चार अगस्त की रात को हिरासत में लिया गया था। बाद में उन्हें सार्वजनिक सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में ले लिया गया।
पूर्व मंत्रियों और विधायकों समेत 12 से अधिक वरिष्ठ नेताओं को घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की स्थिति को देखते हए एहतियान हिरासत में लिया गया है। घाटी में पांच अगस्त से जारी हड़ताल,पोस्ट पेड मोबाइल फोन और ट्रेन सेवाओं के निलंबित होने से आम जनजीवन अस्त-व्यस्त है।
राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री कविन्दर गुप्ता समेत भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं ने दावा किया है कि नेताओं के हिरासत में लिये जाने के बाद घाटी में सामान्यत: हालात शांतिपूर्ण हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि ये नेता घाटी के युवकों को पथराव करने के लिए पैसा दिया करते थे।