भारत और चीन के बीच इस समय पूर्वी लद्दाख सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने विवादित बयान देते हुए कहा कि चीन के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 को लागू किया जाएगा।
यह पहली बार नहीं है जब फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 को लेकर इस तरह की बात कही हो। इससे पहले उन्होंने एक वेबसाइट से बात करते हुए कहा था कि कश्मीर के लोग खुद को भारतीय नहीं मानते हैं। लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि न ही कश्मीर खुद को भारतीय मानते हैं और न ही भारतीय होना चाहते हैं। इसके बदले वे चाहते हैं कि चीन उन पर शासन करें।
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि अगर मैं ईमानदारी से कहूं तो मुझे हैरानी होगी अगर उन्हें (सरकार) वहां कोई ऐसा व्यक्ति मिल जाता है जो खुद को भारतीय बोले। आप जाइए और वहां किसी से भी बात कीजिए। वे खुद को ना तो भारतीय मानते हैं। और न ही वे खुद को पाकिस्तानी मानते हैं। मैं यह आपको स्पष्ट कर दूं। बीते साल 5 अगस्त को मोदी सरकार ने जो किया वह ताबूत में आखिरी कील है।
संसद सत्र के दौरान भी अब्दुल्ला ने कहा था कि कश्मीर में अब भी हालात सुधरे नहीं है। बाकी देश में इंटरनेट 4G इस्तेमाल कर रहे हैं, 5G आने वाला है। लेकिन वहां पर अब भी 2G से लोग काम चला रहे हैं। ऐसे कैसे नौजवान आगे बढ़ेगा। वहां के हालात के बारे में देश को बताना चाहते हैं। दूसरे लोगों को जो सुविधा मिल रही है वह हमारे यहां क्यों नहीं दे रहे। हम कैसे आगे बढ़ेंगे। जमाना बदल गया है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की फिर से बहाली के लिए जिस घोषणा पत्र को तैयार किया गया है। उसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, जेकेपीसीसी के जीए मीर, माकपा के एमवाई तारीगामी, जेकेपीसी के सज्जाद गनी लोन, जेकेएएनसी के मुजफ्फर शाह के नाम शामिल हैं।