गुलाम नबी आजाद ने जम्मू & कश्मीर में बातचीत की सरकार की ताजा पहल को लेकर उसकी नीयत पर संदेह व्यक्त करते हुए आज कहा कि इसका मकसद मात्र प्रचार हासिल करना है।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि मोदी सरकार ने साढ़ तीन वर्ष बेकार कर दिये और अब कार्यकाल की समाप्ति पर बातचीत की पहल की है। इसके अलावा बातचीत की कोई समय सीमा भी निर्धारित नहीं की गयी है जिससे उसकी नीयत पर संदेह पैदा होता है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार साढ़ तीन वर्ष‘सख्ती बरतने‘की बात करती रही जबकि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल संसद के अंदर और बाहर आपसी विश्वास बहाली के उपाय करने तथा सभी पक्षकारों से बातचीत करने की सलाह दे रहे थे। सरकार ने यदि उनकी सलाह मानकर पहले ही यह निर्णय ले लिया होता तो सैंकडों जवानों और बेगुनाह नागरिकों की बेशकीमती जानें न जातीं तथा पेलेट गन से लोगों को आंखों की रोशनी नहीं गंवानी पड़ती।
कश्मीर मुद्दे को राजनीतिक मसला बताते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका हल भी राजनीतिक तरीके से ही निकलेगा लेकिन सरकार को यह बात देर से समझ में आयी।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने गुप्तचर ब्यूरो के पूर्व प्रमुख दिनेश्वर शर्मा को जम्मू कश्मीर में सभी पक्षों से बातचीत के लिए केंद्र का प्रतिनिधि नियुक्त करने की कल घोषणा की थी।