जम्मू कश्मीर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलओसी) के पास रहने वालों की तरह सीधी भर्ती, पदोन्नति तथा पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश में आरक्षण का लाभ मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में यह फैसला किया गया। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक मंत्रिमंडल ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को मंजूरी दे दी।
बयान में कहा गया जन कल्याणकारी पहलों तथा विशेष रूप से विकास के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों को ध्यान में रखते हुए तथा प्रधानमंत्री मोदी के वायदों को पूरा करने के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने आज जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2019 को अपनी स्वीकृति दे दी। संसद के अगले सत्र में दोनों सदनों में इस आशय का प्रस्ताव लाया जाएगा।
बयान में कहा गया ,‘‘मंत्रिमंडल का यह निर्णय सबका साथ, सबका विकास तथा सबका विश्वास के प्रति समर्पित जन कल्याणकारी सरकार के प्रधानमंत्री मोदी के विजन को दिखाता है।’’ इस कदम से जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को राहत मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोग सीधी भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश में लाभ उठा सकते हैं।
यह विधेयक जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 में संशोधन द्वारा जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 का स्थान लेगा और यह अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले व्यक्तियों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एएलओसी) से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों के समान आरक्षण के दायरे में लाएगा। जम्मू कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रह रहे लोगों को जम्मू और कश्मीर आरक्षण अधिनियम, 2004 तथा वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों के निवासियों सहित विभिन्न श्रेणियों के लिए प्रत्यक्ष भर्ती, पदोन्नति तथा विभिन्न पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आरक्षण का प्रावधान करने वाले नियम, 2005 में शामिल नहीं किया गया था। इसलिए लंबे समय से उन्हें इसके लाभ नहीं मिल रहे थे।
सीमा पार से लगातार तनाव, अंतरराष्ट्रीय सीमा के आसपास रह रहे लोगों के सामाजिक, आर्थिक तथा शैक्षणिक पिछड़ापन तथा सीमा पार से होने वाली गोलीबारी के कारण यहां के निवासी सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए बाध्य होते रहे और इससे उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, क्योंकि शैक्षणिक संस्थान लंबे समय तक बंद रहे। इसलिए उचित रूप से यह महसूस किया गया कि वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की तरह ही अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के लिए आरक्षण के लाभ का विस्तार किया जाए। राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्य विधानसभा की शक्तियां संसद में निहित होती हैं। इसलिए जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) अध्यादेश, 2019 के स्थान पर विधेयक लाने का निर्णय लिया गया है, जो संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाएगा।