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राज्यपाल सत्यपाल मलिक बोले- किसी भी आतंकवादी या नौकरशाह ने अपना बच्चा आतंकवाद में नहीं खोया

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हुर्रियत, मुख्यधारा की पार्टियों, धार्मिक उपदेशकों और मौलवियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल आम कश्मीरी लोगों के बच्चों को मरवाने में किया जबकि उनमें से किसी ने भी आतंकवाद की वजह से अपनों को नहीं खोया।

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि हुर्रियत, मुख्यधारा की पार्टियों, धार्मिक उपदेशकों और मौलवियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल आम कश्मीरी लोगों के बच्चों को मरवाने में किया जबकि उनमें से किसी ने भी आतंकवाद की वजह से अपनों को नहीं खोया। 
राज्यपाल ने आरोप लगाया कि ‘प्रभावी और शक्तिशाली’ तबकों ने कश्मीरी युवाओं के सपने और उनकी जिंदगियों को तबाह कर दिया। उन्होंने लोगों से अपील की कि वह इस सच्चाई को समझें और राज्य में शांति और समृद्धि लाने के केंद्र सरकार के प्रयासों में शामिल हो जाएं। मलिक ने कटरा शहर में श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के सातवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ उन सभी के अपने बच्चों का करियर अच्छा चल रहा है और लेकिन आम कश्मीरी व्यक्ति के बच्चों को बताया गया कि स्वर्ग का रास्ता मारे जाने में है।’’ 

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उन्होंने कहा, ‘‘ नेता, नौकरशाह, प्रभावी और शक्तिशाली लोगों ने युवाओं के सपने और उनके जीवन को बर्बाद कर दिया।’’ राज्यपाल ने कहा, ‘‘ सामाजिक नेता, धार्मिक उपदेशकों, मौलवियों, हुर्रियत और मुख्यधारा की पार्टियों ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल आम कश्मीरी लोगों के बच्चों को मरवाने में किया। उनमें से किसी ने भी अपना बच्चा नहीं खोया और उनके परिवार में से कोई भी आतंकवाद से नहीं जुड़ा।’’ 
मलिक ने कहा, ‘‘ मैंने खुफिया एजेंसियों से भी इनपुट नहीं लिया। वे भी दिल्ली या हमें सच नहीं बता रहे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने सीधे तौर पर 150 से 200 कश्मीरी युवाओं से बात की और कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उन्हें पहचानने की कोशिश की जो राष्ट्रगान पर खड़ा नहीं होते हैं। मैंने उनसे और 25 से 30 साल के आयु वर्ग वाले उन लोगों से बात की जिनके सपने कुचल दिए गए, वे भ्रमित हैं और गुस्से में हैं…वे न तो हुर्रियत चाहते हैं, न हमें चाहते हैं और न केंद्र सरकार को या स्वायत्तता को क्योंकि उन्हें बताया गया है कि स्वर्ग जाने का रास्ता मरने में है।’’ 
राज्यपाल ने कहा कि मैंने ऐसे युवाओं से कहा कि उनके पास कश्मीर में पहले से ही स्वर्ग है। उन्होंने कहा कि 22,000 कश्मीरी युवा राज्य से बाहर शिक्षा हासिल कर रहे हैं। राज्यपाल ने कहा, ‘‘ उन्हें शिक्षा के लिए राज्य से बाहर क्यों जाना पड़ता है ? ऐसा इसलिए है क्योंकि हम पिछले कई दशकों से राज्य में मानक शिक्षा छात्रों को मुहैया नहीं करा पाए हैं। कश्मीर में भेजे गए धन का इस्तेमाल अगर नेता और नौकरशाह सही तरीके से करते तो आपके घरों की छतें सोने की बन गई होतीं।’’ 

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