जम्मू कश्मीर में जब से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कार्यभार संभाला है, तब से केंद्रशासित प्रदेश में हालात काफी बेहतर हुए है, लेकिन इसी बीच एक बड़ा मामला समाने आया है। जम्मू कश्मीर में विद्यालयों के शुल्क नियमन के लिए एक समिति ने यहां एक अग्रणी निजी विद्यालय के वित्तीय मामलों की विस्तृत जांच कराने का अनुरोध किया है और केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन से मामले की जांच के लिए निर्दलीय प्राधिकारी को नियुक्त करने के लिए कहा है।
निजी विद्यालयों के शुल्क निर्धारण और नियमन (एफएफआरसी) के लिए समिति ने प्राधिकारी को दो महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपने के लिए भी कहा है। एफएफआरसी ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह दिखाई देता है कि ‘श्रीनगर में अथ्वाजन, दिल्ली पब्लिक स्कूल ने एक सोची समझी’’ योजना के जरिए काफी पैसा कमाया। एफएफआरसी के अध्यक्ष जम्मू कश्मीर के पूर्व न्यायाधीश मुजफ्फर हुसैन हैं।
समिति ने सोमवार को दिए एक आदेश में कहा, ‘‘एफएफआरसी का यह सुनिश्चित करना वैधानिक कर्तव्य है कि शिक्षा का वाणिज्यीकरण न हो।’’ उसने कहा कि स्कूल के शुल्क और अन्य रिकॉर्ड का अध्ययन करने के बाद यह पाया गया कि न्यास में विजय धर और उनकी पत्नी किरण धर के अलावा उनके दो बेटे भी न्यासी हैं।
इस स्कूल की स्थापना 2003 में डी पी धर मेमोरियल ट्रस्ट ने की थी। समिति ने कहा कि न्यासी विजय धर और किरण धर तथा अन्य लोगों ने डीपीएस मेमोरियल ट्रस्ट को वित्तीय सहायता मुहैया करायी और वे दिए गए धन पर 12 प्रतिशत का ब्याज ले रहे हैं जो बैंक की ब्याज दर से कहीं अधिक है। विद्यालय पर जमकर बरसते हुए समिति ने कहा कि किराया न्यास के सदस्य वसूल रहे हैं जो जमीन के मालिक हैं।