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J-K : SC ने खारिज की राज्यपाल के विधानसभा को भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका

सीजेआई रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने कहा, ” हम दखल नहीं देना चाहते। कोर्ट बीजेपी नेता गगन भगत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मालिक के राज्य विधानसभा को भंग करने के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को आज खारिज कर दिया है। सीजेआई रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एसके कौल की पीठ ने कहा, ” हम दखल नहीं देना चाहते। कोर्ट बीजेपी नेता गगन भगत की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

बीजेपी नेता ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा था कि यह लोकतंत्र का सबसे बड़ा मजाक है कि आप 5 महीने तक विधानसभा को निलंबित रखते हैं और जब कोई राजनीतिक दल सरकार बनाने का दावा पेश करती है तो आप विधानसभा को भंग कर देती है। याचिका में बीजेपी नेता ने इस नीति को गलत बताते हुए अलोकतांत्रिक करार दिया था।

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गौरतलब है कि जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 21 नवंबर की रात अचानक राज्य की विधानसभा भंग कर दिया था। इसके कुछ ही घंटे पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने प्रतिद्वंद्वी नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था।

इसके बाद दो सदस्यीय पीपल्स कॉन्फ्रेंस ने बीजेपी और अन्य दलों के 18 विधायकों के समर्थन के दम पर सरकार बनाने दावा पेश किया था। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को पत्र भेज कहा था कि उनकी पार्टी के 29 विधायक हैं और उसे नेशनल कॉन्फ्रेंस के 15 विधायकों तथा कांग्रेस के 12 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।

राज्यपाल द्वारा विधान सभा भंग करने निर्णय की घोषणा राज भवन की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में की गयी थी। छह महीने का राज्यपाल शासन 18 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। इसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाया जाएगा। विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर 2020 तक है। महबूबा मुफ्ती नीत पीडीपी और बीजेपी की गठबंधन सरकार के पतन के बाद 19 जून को राज्य में राज्यपाल शासन लगा दिया गया था।

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