अब नहीं बंद होगा जम्मू हवाईअड्डा, वायुसेना ने वापिस लिया अपना प्रस्तावित आदेश

केंद्र शाासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भारतीय वायुसेना ने जम्मू हवाईअड्डे पर कुछ मरम्मत कार्य के कारण विमानों की आवाजाही के लिए 10 मार्च से रोक लगाने का प्रस्तावित आदेश दिया था, जिसे वायुसेना ने शनिवार को वापिस ले लिया।
अब नहीं बंद होगा जम्मू हवाईअड्डा, वायुसेना ने वापिस लिया अपना प्रस्तावित आदेश
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केंद्र शाासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में भारतीय वायुसेना ने जम्मू हवाईअड्डे पर कुछ मरम्मत कार्य के कारण विमानों की आवाजाही के लिए 10 मार्च से रोक लगाने का प्रस्तावित आदेश दिया था, जिसे वायुसेना ने शनिवार को वापिस ले लिया।  भारतीय वायुसेना ने 10 मार्च से 41 दिनों तक जम्मू हवाईअड्डे पर विमानों की आवाजाही केवल सात घंटे ही होगी, क्योंकि वायुसेना ने हवाईपट्टी पर मरम्मत के काम को लेकर अगले महीने 15 दिन तक हवाईअड्डा को पूर्ण रूप से बंद करने के अपने प्रस्तावित आदेश को वापस ले लिया है। 
अधिकारियों ने बताया कि वायुसेना ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के निर्देश पर भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) के साथ शुक्रवार को बैठक में फैसले की समीक्षा की और इसमें बदलाव किया। इससे एक दिन पहले रक्षा सचिव अजय कुमार ने दिल्ली में एएआई और वायुसेना की संयुक्त बैठक की अध्यक्षता की और उन्हें आम नागरिकों के लिए विमानों के परिचालन को बंद करने से बचने का कोई रास्ता तलाशने का परामर्श दिया। जम्मू कश्मीर प्रशासन के अनुरोध पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने रक्षा सचिव के समक्ष यह मुद्दा उठाया था। अधिकारियों ने बताया कि छह मार्च से 20 मार्च तक जम्मू हवाईअड्डा को पूर्ण रूप से बंद करने का प्रस्ताव वापस ले लिया गया है।
हालांकि मरम्मत के काम को सुगमता से करने के लिए 10 मार्च से 19 अप्रैल तक विमानों का परिचालन सात घंटे ही होगा। अधिकारियों ने बताया कि 10 मार्च से 19 अप्रैल तक जम्मू हवाईअड्डे से सुबह छह बजे से दोपहर एक बजे तक ही विमानों का परिचालन होगा और आखिरी उड़ान दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर रवाना होगी। उन्होंने बताया कि 20 अप्रैल से जम्मू हवाईअड्डे से पूर्व की तरह विमानों का परिचालन सामान्य हो जाएगा। जम्मू हवाईअड्डा के निदेशक प्रवट रंजन बेउरिया को भेजे पत्र में जम्मू वायुसेना अड्डे ने हवाईपट्टी पर मरम्मत के काम को लेकर इसे 15 दिन तक पूर्ण रूप से बंद करने की बात कही थी। वायुसेना के इस आदेश पर जम्मू कश्मीर प्रशासन और मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रमण्यम ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के समक्ष कड़ा विरोध जताया था तथा रक्षा मंत्रालय से मामले में दखल देने का अनुरोध किया था।

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