पूर्व केन्दीय मंत्री एवं जम्मू कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज की पांच अगस्त 2019 से घर में ही नजरबंदी को चुनौती देते हुये उनकी पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। याचिका में सोज की नजरबंदी का आदेश निरस्त करने और उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है।
कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता की पत्नी मुमताजुन्निसा सोज ने याचिका में आरोप लगाया है कि उनके पति को जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा कानून, 1978 के तहत घर में ही नजरबंद करने की वजहें आज तक नहीं बताई गयी हैं जिसकी वजह से वह इस गिरफ्तारी को चुनौती देने में असमर्थ हैं।
याचिका के अनुसार यह नजरबंदी गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक ही नहीं बल्कि बेहद डरावनी भी है। याचिका में कहा गया है कि प्रो सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने के अधिकार) और 22 (गिरफ्तारी की वजह जानने के अधिकार) में प्रदत्त मौलिक अधिकारों और एहतियाती नजरबंदी के कानून का हनन करती है।
केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के कुछ प्रावधान खत्म करने के राष्ट्रपति के आदेश के बाद अगस्त 2019 में घाटी के कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था।
इस आदेश के तहत जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन करके केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख और केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर (विधान सभा सहित) में बांट दिया गया था। मुमताजुन्निसा सोज ने अधिवक्ता सुनील फर्नान्डीज के माध्यम से यह याचिका दायर की है। इस याचिका में सोज को अदालत के समक्ष पेश करने और उनके नजरबंदी के आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अनेक प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के साथ ही जम्मू कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अनेक नेताओं को घरों में ही नजरबंद कर दिया गया था।