केंद्र शासित प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे म्यांमारऔर बांग्लादेश के अप्रवासियों की पहचान कर लिस्ट बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने सरकार को छह सप्ताह का समय दिया है। मुख्य न्यायाधीश पंकज मिथल और न्यायमूर्ति मोक्ष खजूरिया काजमी की पीठ ने ऐसे अवैध अप्रवासियों के निर्वासन का अनुरोध करने वाले वकील हुनर गुप्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर आदेश पारित किया।
पीठ ने कहा, ‘‘हम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के गृह सचिव को इस मामले पर विचार करने और सभी अवैध प्रवासियों की पहचान के लिए एक तंत्र विकसित करने और उनकी पहचान करने के बाद एक सूची तैयार करने का निर्देश देते हैं।’’ पीठ ने पिछले सप्ताह अपने आदेश में कहा, ‘‘उक्त कवायद को छह सप्ताह की अवधि के भीतर शीघ्रता से पूरा किया जा सकता है।’’
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महाधिवक्ता डी. सी. रैना और अतिरिक्त महाधिवक्ता रमन शर्मा केन्द्र शासित प्रदेश के लिए पेश हुए और मामले को 15 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया। अपनी जनहित याचिका में, गुप्ता ने अवैध प्रवासियों के निर्वासन का अनुरोध किया है और उन्हें राज्य के खजाने से और जम्मू-कश्मीर के निवासियों के लिए योजना से दिए गए सभी लाभों को वापस लेने का भी अनुरोध किया है। जनहित याचिका में दावा किया गया है कि इन अवैध अप्रवासियों के वास्तविक आंकड़े आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज्यादा हैं।