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राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बन जायेगा जम्मू-कश्मीर

देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक जम्मू-कश्मीर का गुरूवार को विधिवत विभाजन के साथ नक्शा बदल जायेगा और इसकी जगह दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ जायेंगे

देश के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक जम्मू-कश्मीर का गुरूवार को विधिवत विभाजन के साथ नक्शा बदल जायेगा और इसकी जगह दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख अस्तित्व में आ जायेंगे। 
जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल श्रीनगर में पूर्व नौकरशाह जी सी मुर्मू को जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के पहले उप राज्यपाल के तौर पर शपथ दिलायेंगी। इसके बाद वह लेह में श्री राधा कृष्ण माथुर को लद्दाख के उप राज्यपाल की शपथ दिलायेंगी।
जम्मू कश्मीर की विधानसभा होगी जिसमें 114 सीटें होंगी और वहां का शासन मॉडल दिल्ली और पुड्डूचेरि पर आधारित होगा जबकि लद्दाख की विधानसभा नहीं होगी और यह उप राज्यपाल के माध्यम से सीधे केन्द्रीय गृह मंत्रालय के मातहत रहेगा। 
सरकार ने गत छह अगस्त को संसद में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित किया था जिसमें राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का प्रावधान किया गया था। इन दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के अस्तित्व में आने की तारीख 31 अक्टूबर तय की गयी थी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 9 अगस्त को पुनर्गठन विधेयक को मंजूरी दे दी थी। 
केंद्र शासित प्रदेश बनने से जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा तो समाप्त हो ही गया है वहां का अलग संविधान और ध्वज तथा कानून भी निरस्त हो जायेंगे। अब वहां देश का संविधान और केंद्र के कानून लागू हो जायेंगे। वहां पहली बार केंद्र के 100 से भी अधिक कानून प्रभावी होंगे। इनमें सूचना का अधिकार, शिक्षा का अधिकार और आधार जैसे महत्वपूर्ण कानून भी शामिल हैं।
यह पहला मौका है जब किसी राज्य को विभाजित कर उसमें से दो केंद्र शासित प्रदेश बनाये गये हैं। अब तक राज्यों का विभाजन कर नये राज्यों का ही गठन किया जाता रहा है। इसके साथ ही देश में जहां राज्यों की संख्या एक कम हो जायेगी वहीं केन्द, शासित प्रदेशों की संख्या दो बढ जायेगी। देश में कुल राज्यों की संख्या घटकर 28 और केन्द, शासित प्रदेशों की संख्या बढकर 9 हो जायेगी। 
यह भी संयोग ही है कि जम्मू कश्मीर का विभाजन राष्ट्रीय एकता दिवस के दिन से प्रभावी होगा जो देश को एकता के सूत्र में पिरोने वाले लौह पुरूष कहे जाने वाले देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर देश भर में मनाया जाता है। 
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान वादा किया था कि वह सत्ता में आने पर जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त कर देगी। दोबारा सत्ता में आने पर सरकार ने संसद के पहले ही सत्र में विधेयक पारित कर इससे संबंधित वादे को पूरा कर दिया। भारत को आजादी मिलने के बाद जम्मू कश्मीर का वर्ष 1947 में इसमें विलय हो गया था। 
पुनर्गठन विधेयक पारित होने के बाद से राज्य के कई प्रमुख नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था जिनमें से अधिकरतर अभी भी नजरबंद हैं। सरकार ने स्थिति को सामान्य बनाये रखने के लिए संचार सेवाओं को ठप कर दिया था और एक निश्चित अवधि तक कई क्षेत्रों में कर्फ्यू लागू रहा था।

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