जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती नजरबंदी से रिहा होने के बाद से लगातार केंद्र सरकार और बीजेपी पर हमला कर रही हैं। राजनीति में अपना अस्तित्व बचाए रखने की कोशिश में जुटी महबूबा ने मंगलवार को कहा कि अब कश्मीरियों पर कानून बनाए जा रहे हैं जो उनके अस्तित्व के खिलाफ हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने कहा, कश्मीरी युवाओं के भविष्य की रक्षा के लिए हम किसी भी हद तक जाएंगे। पहले भी सभी कानून जनता के परामर्श से बनाए गए थे और वे लोगों के अनुकूल थे। लेकिन अब, कश्मीरियों पर कानून बनाए जा रहे हैं जो उनके अस्तित्व के खिलाफ हैं और हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।
इससे पहले उन्होंने पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स (पीएआई)-2020 के श्रेष्ठ शासन संबंधी सूचकांक में केंद्र शासित प्रदेश को नीचे रखे जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जनसांख्यिकीय परिवर्तन शुरू करने करने और यहां के संसाधनों को लूटने के लिए ‘विकास’ के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।
जनसांख्यिकीय परिवर्तन के लिए ‘विकास’ के नाम का हो रहा इस्तेमाल : महबूबा मुफ्ती
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट करके कहा, “शासन को लेकर हाल के एक सर्वेक्षण में जम्मू-कश्मीर को सबसे नीचे का स्थान मिला है। स्पष्ट है जनसांख्यिकीय परिवर्तन शुरू करने करने और यहां के संसाधनों को लूटने के लिए ‘विकास’ के नाम का इस्तेमाल किया जा रहा है।”
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को पब्लिक अफेयर्स इंडेक्स (पीएआई)-2020 के श्रेष्ठ शासन संबंधी सूचकांक में भारत के सात केंद्र शासित प्रदेशों में छठा स्थान प्राप्त हुआ है। जम्मू-कश्मीर को (-0.50) स्कोर दिया गया है और यह केंद्र शासित प्रदेशों में केवल दादरा नगर हवेली और दमन दीव से आगे है।