जम्मू-कश्मीर के कठुआ में साल 2018 में हुए गैंगरेप केस में आरोपी शुभम सांगरा पर नाबालिग नहीं बल्कि बालिग के तौर पर मुकदमा चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को रद्द करते हुए ये फैसला सुनाया है। निचली अदालत ने अपने आदेश में आरोपी को जुवेनाइल बताया गया था।
जस्टिस अजय रस्तोगी व जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की अपील पर बुधवार को फैसला सुनाया है। जस्टिस जेबी पारदीवाला ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि मेडिकल साक्ष्य पर भरोसा किया जा सकता है या नहीं, यह साक्ष्य के मूल्य पर निर्भर करता है। ऐसे में सीजेएम कठुआ द्वारा पारित आदेश को रद्द किया जाता है और ऐसी स्थिति में आरोपी को अपराध के समय किशोर नहीं माना जाता है।
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अभियुक्त की आयु सीमा निर्धारित करने के लिए किसी अन्य निर्णायक सबूत के अभाव में उम्र के संबंध में चिकित्सा राय पर विचार किया जाता है, जो स्पष्ट है। आरोपी के खिलाफ बालिग के तौर पर मुकदमा चलाया जाए। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने याचिका दायर की थी।
याचिका में कहा गया कि 2018 में अपराध के वक्त आरोपी बालिग था और हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश की पुष्टि कर गलती की है। 11 अक्तूबर 2018 को हाईकोर्ट ने 27 मार्च, 2018 के निचली अदालत ने इस मसले पर आदेश दिया था। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट ने यह परीक्षण भी नहीं किया कि आरोपी की जन्मतिथि के बारे में निगम और स्कूल के रिकॉर्ड में विरोधाभास है।