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कठुआ दुष्कर्म मामले के दोषी को जमानत मिलने पर महबूबा मुफ्ती ने जताया दुख, कहा- न्याय व्यवस्था ध्वस्त होने जैसा

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि साल 2018 के कठुआ दुष्कर्म मामले के एक दोषी को जमानत दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए शनिवार को कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख और जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अकसर अपने तल्ख बयानों की वजह से हमेशा चर्चा में बनी रहती है। मुफ्ती ने कहा कि साल 2018 के कठुआ दुष्कर्म मामले के एक दोषी को जमानत दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए शनिवार को कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है। 
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले में 21 दिसंबर को अपने एक फैसले में बर्खास्त पुलिस उपनिरीक्षक आनंद दत्ता की शेष सजा और जेल की अवधि को निलंबित कर दिया तथा आदेश दिया कि उन्हें जमानत बांड जमा करने पर रिहा किया जाए। 

मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा- हत्या करने के मामले में न्याय नहीं होता है, तो 
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट किया, कठुआ दुष्कर्म मामले में सबूत नष्ट करने वाले दोषी पुलिसकर्मी को जमानत दे दी गई और उसकी जेल की अवधि निलंबित कर दी गई, जो बेहद परेशान करने वाली बात है। जब एक बच्ची के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या करने के मामले में न्याय नहीं होता है, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि न्याय व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। 
गौरतलब है कि कठुआ जिले में जनवरी 2018 में आठ साल की एक बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या कर दी गई थी। पंजाब के पठानकोट की एक अदालत ने 10 जून 2019 को इस मामले में फैसला सुनाया था। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर यह मामला पंजाब में स्थानांतरित किया गया था। 
अदालत की कार्रवाई और दोषियों को मिली सजा 
अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी सांजीराम समेत छह लोगों को दोषी ठहराया था। सांजीराम, बर्खास्त किए गए विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजूरिया और परवेश कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, जबकि तीन अन्य बर्खास्त पुलिसकर्मियों-आनंद दत्ता, तिलकराज और सुरेंद्र वर्मा को सबूत नष्ट करने के मामले में पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी। 
दत्ता की आधी से अधिक सजा पहले ही पूरी हो चुकी है, जबकि दोषी ठहराए गए सह-आरोपी तिलकराज की सजा को भी 16 दिसंबर को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने निलंबित कर दिया था।

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