दक्षिण कश्मीर में सोमवार को मुठभेड़ में मारे गये जैश-ए-मोहम्मद के तीनों आतंकवादियों से पाकिस्तान विशेष बलों द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली अमेरिका निर्मित एम-4 कारबाइन राइफल बरामद की गयीं। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि पड़सी देश आतंकवादियों को प्रश्रय देता है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज कहा कि यह पहली दफा है जब घाटी में मारे गये आतंकवादियों के पास अमेरिका में बने हथियार मिले। ये हथियार कश्मीर में आतंकवादियों तक कैसे पहुंचे, इस मुद्दे को उचित चैनलों के माध्यम से संबंधित दूतावासों के समक्ष उठाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस समय लगभग पांच से 10 ऐसे हथियार घाटी में हैं। उन्होंने कहा,’अमेरिका में बनी एम-4 कारबाइन का प्रयोग वर्तमान में नाटो सेना और पाकिस्तान सेना के विशेष बलों द्वारा किया जाता है। हमें यह विश्वास है कि पाकिस्तानी सेना ने जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों को यह विशेष हथियार दिये होंगे। इससे स्पष्ट होता है जैश-ए-मोहम्मद और पाकिस्तानी सेना एक दूसरे से जुड़ हुए हैं।’ जीओसी विक्टर फोर्स के मेजर जनरल बी एस राजू ने बताया कि पुलिस महानिरीक्षक कश्मीर के मुनीर खान और केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के महानिरीक्षक रविदीप सिंह शाही ने एक संवाददाता सम्मेलन में इस बारे में बताया।
विक्टर फोर्स के जीओसी ने कहा कि कश्मीर में आतंकवादी आमतौर पर ए के-47 राइफल का प्रयोग करते हैं क्योंकि इसकी बनावट और इसका उपयोग स्थिति के अनुरूप ढल जाता है। इस बीच पुलिस महानिरीक्षक खान ने कहा आतंकवादियों के पास यह कैसे पहुंची इसकी जांच शुरू की जायेगी।
इस मुद्दे को उचित चैनल के माध्यम से संबंधित दूतावासों के साथ उठाया जायेगा। यह जांच का विषय है कि आतंकवादियों के कब्जे में इस तरह के हथियार कैसे पहुंचे।