जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार फारूक खान ने इस्तीफा दिया, ऐसी संभावना है कि वह इस केंद्रशासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में अहम भूमिका निभा सकते हैं। इससे इतर केंद्र सरकार जल्द ही जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए ऐलान कर सकती हैं। जम्मू कश्मीर में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि मंडल लगातार हालात खराब ना हो इस पर अपनी पैनी नजर रहा हैं।
भाजपा में शामिल होकर शुरू कर सकते हैं राजनीतिक पारी
फारूख खान राज्यपाल के सलाहकार से इस्तीफा देकर अपनी राजनीतिक पारी शुरू कर सकते हैं। संभावना जताई जा रही हैं कि वह भाजपा में शामिल होकर उसका विस्तार करने में अपनी भूमिका देगें। क्योंकि घाटी में भाजपा अब तक कुछ चमत्कार नही कर पाई हैं। ऐसे में फारूख घाटी में भाजपा की राह आसान कर सकते हैं। इसी को हथियार बनाकर भाजपा घाटी में मुस्लिम मतों को अपनी आर खींच सकती हैं। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के सलाहकार फारूक खान ने रविवार शाम को अपने पद से इस्तीफा दे दिया और अब उन्हें इस केंद्रशासित प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में ‘महत्वपूर्ण जिम्मेदारी’ दी जाने वाली है। अधिकारियों ने यहां यह जानकारी दी।
फारूख खान की सियासी व अधिकारी जीवनी
अधिकारियों ने बताया कि सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी खान भाजपा के राष्ट्रीय सचिव रह चुके हैं तथा पार्टी के अल्पसंख्यक मोर्चे में कई पदों पर रहे हैं। जम्मू कश्मीर में 1990 के दशक में आतंकवाद की कमर तोड़ने में खान का अहम योगदान रहा था। ऐसी संभावना है कि खान को इस केंद्रशासित प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव के वास्ते पार्टी को तैयार करने की जिम्मेदारी दी जाए।
परिसीमन पूर्ण होने के बाद विधानसभा चुनाव की उम्मीद
वैसे तो विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गयी है लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्तमान परिसीमन कार्य मई तक पूरा हो जाने पर अक्टूबर के बाद चुनाव कराये जायेंगे। अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। जुलाई, 2019 में खान को तत्कालीन उपराज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार नियुक्त किया गया था। उससे पहले वह लक्षद्वीप के प्रशासक थे।
वैसे तो विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा अभी नहीं की गयी है लेकिन अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्तमान परिसीमन कार्य मई तक पूरा हो जाने पर अक्टूबर के बाद चुनाव कराये जायेंगे। अगस्त, 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाये जाने के बाद जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा वापस ले लिया गया था और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया गया था। जुलाई, 2019 में खान को तत्कालीन उपराज्यपाल सत्यपाल मलिक का सलाहकार नियुक्त किया गया था। उससे पहले वह लक्षद्वीप के प्रशासक थे।
आतंकवाद की कमर तोड़ने में निभायी अहम भूमिका
खान ने 1984 में एक पुलिस उपनिरीक्षक के तौर जम्मू कश्मीर में अपना करियर शुरू किया था और वह आगे चलकर पुलिस महानिरीक्षक बने थे। उन्हें 1994 में भारतीय पुलिस सेवा में प्रोन्नति मिली थी। वह 1994 में तब सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने अपनी इच्छा से पुलिस के एक विशेष कार्यबल (एसटीएफ) की अगुवाई की । तब पुलिस बल का मनोबल बहुत नीचे था तथा सुरक्षा अभियान सेना एवं बीएसएफ द्वारा चलाये जा रहे थे। यह एसटीएफ जम्मू कश्मीर पुलिस के कर्मियों से बनाया गया था और उसने आतंकवाद निरोधक अभियानों में महती भूमिका निभायी।
खान ने 1984 में एक पुलिस उपनिरीक्षक के तौर जम्मू कश्मीर में अपना करियर शुरू किया था और वह आगे चलकर पुलिस महानिरीक्षक बने थे। उन्हें 1994 में भारतीय पुलिस सेवा में प्रोन्नति मिली थी। वह 1994 में तब सुर्खियों में आये थे जब उन्होंने अपनी इच्छा से पुलिस के एक विशेष कार्यबल (एसटीएफ) की अगुवाई की । तब पुलिस बल का मनोबल बहुत नीचे था तथा सुरक्षा अभियान सेना एवं बीएसएफ द्वारा चलाये जा रहे थे। यह एसटीएफ जम्मू कश्मीर पुलिस के कर्मियों से बनाया गया था और उसने आतंकवाद निरोधक अभियानों में महती भूमिका निभायी।
राष्ट्रपति पदक से हो चुके हैं सम्मानित
जम्मू के पुंछ के रहने वाले खान जम्मू के पुलिस उपमहानिरीक्षक थे और 2003 में प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर पर आतंकवादियों के कब्जे का खात्मा करने वाले दलों का नेतृत्व किया। वर्ष 2013 में पुलिस महानिरीक्षक तथा उधमपुर में शेर-ए-कश्मीर अकादमी प्रमुख के तौर पर सेवानिवृत होने के बाद खान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गये।
राष्ट्रपति के पुलिस पदक तथा सेना एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों से प्रशस्ति पा चुके खान की भाजपा में प्रवेश को पुंछ एवं राजौरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के कदम के रूप में देखा गया। उनके दादा कर्नल (सेवानिवृत) पीर मोहम्मद खान जनसंघ की जम्मू कश्मीर इकाई के पहले अध्यक्ष थे। उससे पहले वह महाराजा हरि सिंह की सेना में थे।
भाषा
जम्मू के पुंछ के रहने वाले खान जम्मू के पुलिस उपमहानिरीक्षक थे और 2003 में प्रसिद्ध रघुनाथ मंदिर पर आतंकवादियों के कब्जे का खात्मा करने वाले दलों का नेतृत्व किया। वर्ष 2013 में पुलिस महानिरीक्षक तथा उधमपुर में शेर-ए-कश्मीर अकादमी प्रमुख के तौर पर सेवानिवृत होने के बाद खान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हो गये।
राष्ट्रपति के पुलिस पदक तथा सेना एवं अन्य सुरक्षा एजेंसियों से प्रशस्ति पा चुके खान की भाजपा में प्रवेश को पुंछ एवं राजौरी क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को रिझाने के कदम के रूप में देखा गया। उनके दादा कर्नल (सेवानिवृत) पीर मोहम्मद खान जनसंघ की जम्मू कश्मीर इकाई के पहले अध्यक्ष थे। उससे पहले वह महाराजा हरि सिंह की सेना में थे।
भाषा