जम्मू-कश्मीर में लगातार पत्थरबाजी और आतंकी हमलों की खबर के बीच हिंदू-मुस्लिम भाइचारे की एक शानदार मिसाल देखने को मिली। शुक्रवार को कश्मीर घाटी में एक पंडित के अंतिम संस्कार में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने ना केवल मदद की बल्कि अर्थी को कंधा भी दिया। अंतिम संस्कार में शामिल हुए मुस्लिम लोगों ने एकता और भाईचारे का संदेश दिया और देश को एक अलग ही मिसाल दी है।
सूत्रों के मुताबिक कश्मीरी पंडित 50 वर्षीय तेज किशन डेढ़ साल से लकवा की बीमारी से पीड़ित थे और शुक्रवार को उनकी मौत हो गई। तेजकिशन की मौत की खबर सुनते ही आस-पास के 3 हजार मुस्लिम समुदाय के लोग उनकी अंतिम यात्रा में शामिल हुए। मुसलमानों ने हिंदू रीति-रिवाजों से अंतिम संस्कार किया और अंतिम संस्कार के लिए परिवार की जरूरी हर संभव मदद की।
रिश्तेदारों के मुताबिक तेजकिशन के निधन से जितना दुखी उनका परिवार है उतने ही दुखी पड़ोस के मुस्लिम समाज के लोग हैं। मुस्लिमों द्वारा दी गई इस मदद के बाद मृत तेज किशन के भाई जानकी नाथ पंडित ने कहा, ‘यह असली कश्मीर है। यह हमारी संस्कृति है और हम भाईचारे के साथ रहते हैं। हम बंटवारे की राजनीति में विश्वास नहीं रखते।’
तेज किशन के एक और रिश्तेदार ने बताया कि इस गांव में लोग बिना किसी सांप्रदायिक तनाव के रहते हैं। तेज किशन ने कभी अपना पैतृक स्थान नहीं छोड़ा। वह कहते थे कि वह मुसलमान दोस्तों के साथ पले-बढ़े और उन्हीं के बीच मरना पसंद करेंगे। जैसे ही किशन की मौत की जानकारी इलाके में फैली उनके मुस्लिम दोस्त अस्पताल दौड़े और उनके शव को घर लाए। ये ही नहीं इसके अलावा किशन की मौत की सूचना और अंतिम संस्कार में जुटने की जानकारी मस्जिद के लाउडस्पीकर से सबको दी गई।