घाटी में कश्मीरी पंडितों की वापसी तथा पुनर्वास को लेकर नेशनल कांफ्रेंस (NC) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने शनिवार को तीन प्रस्ताव पारित किए। इसमें कश्मीरी पंडितों के राजनीतिक सशक्तिकरण समेत कई आह्वान किए गए हैं। प्रस्ताव पार्टी अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता में एक दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत में पेश किए गए।
फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अगर हम नेता धर्म और राजनीति को एक दूसरे से दूर नहीं रखेंगे तो देश नहीं बचेगा। वे (केंद्र) महिला अधिकार विधेयक पारित क्यों नहीं करते? उनके पास संसद में 300 सदस्य हैं, लेकिन वे नहीं चाहते कि महिलाएं उठें और पुरुषों के समान दर्जा प्राप्त करें।
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एनसी प्रमुख ने कहा, कश्मीर में लोगों को केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, कई वादे किए गए लेकिन एक भी पूरा नहीं किया गया। कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुसलमानों के बीच समस्याएं पैदा की गईं। जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच फैली नफरत से हमारे दुश्मनों को फायदा होगा।
ध्वनि मत से पारित 'राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण' इन प्रस्तावों को प्रस्तुत करते समय वरिष्ठ नेता अनिल धर ने कहा, 'प्रवासी कश्मीरी पंडित समुदाय पिछले तीन दशकों से अपनी सम्मानजनक वापसी और पुनर्वास के लिए तरस रहा है। यह बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है।'
उन्होंने कहा कि नेशनल कांफ्रेंस ही एकमात्र पार्टी है जो घाटी में पंडितों की वापसी और पुनर्वास सुनिश्चित कर सकती है। उन्होंने कहा, 'अब्दुल्ला को भारत सरकार का मार्गदर्शन करना चाहिए, जो आज तक इस दिशा में कोई प्रगति करने में विफल रही है। हमारे पास रोडमैप है और हम इसे केंद्र के साथ साझा करने के लिए तैयार हैं।'