जेल में बंद जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के प्रमुख यासिन मलिक को प्रत्यक्ष रूप से पेश करने के लिए यहां की एक अदालत ने बुधवार को एक नया वारंट जारी किया।यह पेशी वारंट, 1990 में वायुसेना के चार कर्मियों की गोली मार कर हत्या किये जाने के मामले में गवाहों से जिरह कराने के लिए जारी किया गया है।
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अदालत को बताया कि उसने आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।जांच एजेंसी की विशेष अभियोजक मोनिका कोहली ने कहा कि यह बहुचर्चित मामला अदालत में सुनवाई के लिए आया, जिसमें जेकेएलएफ प्रमुख तिहाड़ जेल से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से पेश हुआ और अन्य आरोपी अदालत में उपस्थित थे।
वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता कोहली ने संवाददाताओं से कहा,‘‘अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख, 22 दिसंबर को मलिक को प्रत्यक्ष रूप से पेश करने के लिए फिर से पेशी वारंट जारी किया है।’’उन्होंने कहा कि सीबीआई ने मलिक की शारीरिक पेशी को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे रखी है क्योंकि उसके खिलाफ अन्य मामले लंबित रहने के कारण केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक निर्देश मिला है।
कोहली ने कहा, ‘‘चूंकि उसने अपनी प्रत्यक्ष उपस्थिति के लिए एक अर्जी दी थी, इसलिए अदालत ने गवाहों से उसकी जिरह कराने के लिए एक नया पेशी वारंट जारी किया।’’अदालत ने 21 सितंबर को, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण के मामले में गवाहों से जिरह कराने के लिए प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित हो कर पेशी के वास्ते पहली बार मलिक की मांग स्वीकार की थी।मलिक के संगठन ने 1989 में रूबैया का अपहरण किया था।
श्रीनगर के बाहरी इलाके में 1990 में वायुसेना के चार कर्मियों की हत्या के मामले में मलिक और छह अन्य के खिलाफ पिछले साल 16 मार्च को आरोप तय किये गये थे, जबकि रूबैया के अपहरण के मामले में इस साल 11 जनवरी को जेकेएलएफ प्रमुख और नौ अन्य के खिलाफ आरोप तय किये गये।मलिक, इस समय दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है। उसे राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण एजेंसी (NIA) ने आतंकवाद को धन मुहैया करने के सिलसिले में अप्रैल 2019 में गिरफ्तार किया था।