31 साल बाद कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम करने वाले आतंकी फारूक अहमद डार उर्फ़ बिट्टा कराटे की फाइल एक बार फिर खुल गई है, इसके साथ सतीश कुमार टिक्कू के परिवार को न्याय की उम्मीद नजर आने लगी है। सतीश टिक्कू हत्याकांड को लेकर दायर याचिका पर श्रीनगर की कोर्ट में आज पहली सुनवाई हुई।
सतीश कुमार टिक्कू के परिवार की ओर से पेश अधिवक्ता उत्सव बैंस ने कोर्ट से बाहर आने के बाद कहा कि आज पहली सुनवाई में कोर्ट ने मामले को सकारात्मक रूप से सुना। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने 31 वर्षों में मामलों को लेकर हुए काम पर जम्मू-कश्मीर सरकार को फटकार लगाई।
इसके साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि आरोपी बिट्टा कराटे के खिलाफ चार्जशीट क्यों नहीं दाखिल की गई। अधिवक्ता उत्सव बैंस ने कहा कि यह सुनवाई सतीश टिक्कू के परिवार के लिए आशा की एक किरण है। मामले में अगली सुनवाई 16 अप्रैल को होगी। बिट्टा कराटे के खिलाफ दर्ज सभी एफआईआर की स्थिति रिपोर्ट के लिए उत्सव बैंस सतीश टिक्कू के परिवार की ओर से श्रीनगर सेशन कोर्ट में क्रिमिनल एप्लीकेशन दाखिल करेंगे।
कैमरे पर आतंकी बिट्टा का कबूलनामा
कश्मीर में निर्दोष लोगों की हत्या और आतंकवाद के आरोप में बिट्टा कराटे 16 साल कैद में बिताएं हैं। एक इंटरव्यू में बिट्टा ने खुद 20 कश्मीरी पंडितों की हत्या करने की बात कबूली थी। बिट्टा कराटे ने कहा था कि उसने 20 कश्मीरी पंडितों का मर्डर किया था।
साल 1991 में दिए इंटरव्यू में बिट्टा कहता है कि अगर उसे पनी मां या भाई का कत्ल करने का आदेश भी मिलता तो वह उनकी भी हत्या करने से नहीं हिचकता। बिट्टा ये भी बताता है कि कैसे उसने 22 वर्षीय कश्मीरी पंडित सतीश कुमार टिक्कू की हत्या से घाटी में कत्लेआम का सिलिसला शुरू किया था।