जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं और सिखों के नरसंहार के अपराधियों की पहचान करने के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने की मांग की गई है। ‘वी द सिटिजन’ नाम के एक एनजीओ ने यह मांग भारत सरकार के सामने रखी है।
एनजीओ (NGO) ने भारत सरकार द्वारा गठित एसआईटी की रिपोर्ट के आधार पर आरोपियों पर मुकदमा चलाने की बात बोल रहे है। इन लोगों ने जम्मू-कश्मीर के उन हिंदू और सिखों की जनगणना कराने की भी मांग की है, जो आज देश के अलग-अलग हिस्सों में रहने को मजबूर हैं।
इस एनजीओ ने भारत सरकार से जनवरी 1990 में पलायन के बाद यहां हुई सभी संपत्ति बिक्री को रद्द करने की अपील की है। चाहे वह धार्मिक, आवासीय, कृषि, वाणिज्यिक, संस्थागत, शैक्षिक या कोई अन्य अचल संपत्ति हो।
देशद्रोहियों को कश्मीर पर नियंत्रण करने की अनुमति दी
एनजीओ का मानना है कि राज्य की मशीनरी सत्तारूढ़ राजनीतिक दलों से इतने प्रभावित है कि उन अपराधियों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की गई है जो धार्मिक हत्याओं और पलायन के मास्टरमाइंड थे। यह इस बात से भी स्पष्ट है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और देशद्रोहियों को कश्मीर पर नियंत्रण करने की अनुमति दी गई।
हिंदुओं और सिखों की जनगणना कराने का निर्देश देने की अपील
संगठन ने केंद्र से मांग की है कि वह सरकार को कश्मीरी हिंदुओं और सिखों के पुनर्वास का निर्देश दे, जो 1990 या उसके बाद कश्मीर से देश के किसी अन्य हिस्से में चले गए थे। एनजीओ ‘वी द सिटिजन’ ने भी अधिवक्ता बरुन कुमार सिन्हा के जरिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इसमें सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेश को जम्मू-कश्मीर के उन हिंदुओं और सिखों की जनगणना कराने का निर्देश देने की अपील की गई है, जो आज देश के अलग-अलग हिस्सों में रह रहे हैं।