जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर तीखा हमला किया। उमर ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 इसलिये निरस्त कर पाई, क्योंकि 2014 के विधानसभा चुनाव के बाद उनकी पार्टी कमजोर हो गई थी।
उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद ने उनकी पार्टी का बिना शर्त समर्थन का प्रस्ताव ठुकराकर उनके साथ गठबंधन कर लिया, जिनकी जम्मू-कश्मीर को लेकर ''अच्छी नीयत'' नहीं थी।
यह सरकार केवल भाजपा और कुछ कश्मीर-आधारित दलों के चुनिंदा नेताओं के लाभ के लिए है
उमर ने लोगों से 5 अगस्त, 2019 को ''जम्मू-कश्मीर पर थोपे गए बदलावों को उलटने'' के लिये नेशनल कांफ्रेंस का समर्थन करने और उसे मजबूत बनाने की अपील की। गौरतलब है कि पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बयान कि उनका प्रशासन केंद्र शासित प्रदेश के सभी लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहा है, के संदर्भ में उमर ने कहा, ''मुझे तो ऐसा होते हुए नहीं दिख रहा है। हम देख रहे हैं कि यह सरकार केवल भाजपा और कुछ कश्मीर-आधारित दलों के चुनिंदा नेताओं के लाभ के लिए है।''
सरकार बना लेते तो, न तो वे अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए निरस्त कर पाते
पूर्व मुख्यमंत्री ने किश्तवाड़ जिले के इंदरवल विधानसभा क्षेत्र के चतरू में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा, ''हम पर बदलाव थोपे जाने के बाद हमने जम्मू-कश्मीर और इसकी जनता के लिये लड़ाई शुरू की। ये बदलाव इसलिये संभव हो सके क्योंकि नेशनल कांफ्रेंस कमजोर थी।
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यदि हम 2014 के चुनाव में (विधानसभा) सीटें नहीं हारते और सरकार बना लेते तो, न तो वे अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए निरस्त कर पाते और न रोशनी अधिनियम के तहत लोगों को आवंटित भूमि या बाहर से आए लोगों को दी गई नौकरियां और ठेके छीन पाते।''
मैं सरकार बनाने के लिए बाहर से बिना शर्त समर्थन देने के लिए मुफ्ती साहब के पास गया था
उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने नेशनल कांफ्रेंस की ''कमजोर स्थिति'' का फायदा उठाया और संविधान द्वारा जम्मू-कश्मीर के लोगों को जो दिया गया था, उसे छीन लिया। उमर ने कहा, ''मुझे ऐसी स्थिति का पूर्वाभास हो गया था और मैं सरकार बनाने के लिए बाहर से बिना शर्त समर्थन देने के लिए मुफ्ती साहब के पास गया था। मैंने उनसे कहा कि वह जिस रास्ते पर (भाजपा के साथ सरकार बनाकर) जा रहे हैं, वह जम्मू-कश्मीर के लिए एक आपदा लेकर आएगा और हम खुद को बचा नहीं पाएंगे।''
नेशनल कांफ्रेंस के नेता ने बताया, ''मैंने उनसे कहा कि मुझे सत्ता का कोई लालच नहीं है क्योंकि मैंने मुख्यमंत्री के रूप में अभी छह साल पूरे किए हैं और उन लोगों को सत्ता में लाने से परहेज किया है जिनके इरादे जम्मू-कश्मीर के लिए अच्छे नहीं हैं।'' उमर ने कहा कि मुफ्ती की मजबूरी थी और उन्होंने अपने हिसाब से फैसला लिया।