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उमर अब्दुल्ला ने कहा- चुनाव हमारा अधिकार इसके लिए हम केंद्र से भीख नहीं मांगेंगे

जम्मू कश्मीर की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि चुनाव लोगों का अधिकार है। परन्तु जम्मू कश्मीर में चुनाव करवाने के लिए हम केंद्र सरकार से भीख नहीं मांगेंगे।

जम्मू कश्मीर की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि चुनाव लोगों का अधिकार है। परन्तु जम्मू  कश्मीर में चुनाव करवाने के लिए हम केंद्र सरकार से भीख नहीं मांगेंगे।  अब्दुल्ला ने आगे कहा अनुच्छेद 370 को रद्द करने के बाद देश से जो दावे किए थे वो नाकाम साबित हुए है। 
अब्दुल्ला ने अपने बयान में क्या कहा ?
अब्दुल्ला ने अनंतनाग जिले में पत्रकारों से कहा, अगर इस वर्ष चुनाव नहीं कराए जाते हैं, न कराएं जाएं। हम भिखारी नहीं हैं। मैंने बार-बार कहा है कि कश्मीरी भिखारी नहीं हैं। चुनाव हमारा हक है लेकिन हम इस अधिकार के लिए उनसे भीख नहीं मांगेंगे। उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव कराना चाहते हैं तो अच्छा है, लेकिन नहीं चाहते हैं तो न कराएं। संपत्तियों और सरकारी भूमियों से लोगों को हटाने के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने दावा किया कि जम्मू कश्मीर में चुनाव न कराए जाने का एक कारण यह भी है। उन्होंने कहा,  इसलिए वह चुनाव नहीं करा रहे हैं। वे लोगों को परेशान करना चाहते हैं। लोगों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने के बजाय ऐसा लगता है कि वे घावों को हरा रखना चाहते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार जानती है कि चुनी हुई सरकार लोगों के ज़ख्मों को भरेगी जबकि वे कथित रूप से घावों पर नमक-मिर्च रगड़ रहे हैं।
अब्दुल्ला ने कहा 370 को रद्द करने के समय राष्ट्र से जो दावे किए थे  वे नाकाम 
राजौरी हमले के बाद ग्राम रक्षा गार्ड को हथियार देने के सरकार के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार इसके ज़रिए मान रही है कि उसने 2019 में अनुच्छेद 370 को रद्द करने के समय राष्ट्र से जो दावे किए थे, वे नाकाम हुए हैं।
बंदूक संस्कृति कम होने लगेगी।
नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता ने कहा, पांच अगस्त 2019 को राष्ट्र को बताया गया था कि कश्मीर में बंदूक (संस्कृति) अनुच्छेद 370 की वजह से है और अनुच्छेद 370 को रद्द करने के साथ ही बंदूक संस्कृति कम होने लगेगी। उन्होंने कहा,  जिस तरह का हमला राजौरी में देखा गया और जो हालात कश्मीर में हैं, जिस तरह सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जा रही है… यह सब बताते हैं कि हालात काबू में नहीं हैं। सरकार ये कदम उठाने को मजबूर हुई है। एक जनवरी को राजौरी जिले के ढांगरी गांव में एक जनवरी को हुए आतंकवादी हमले में सात लोगों की मौत हो गई थी और 14 अन्य घायल हुए थे।

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